iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय का आंकड़ा बताता है कि लम्बा सफर तय करते हुए भारत अब दलहनों के उत्पादन में धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।
यह अलग बात है कि कुछ दलहनों की पैदावार घरेलू मांग एवं खपत से काफी पीछे है और इसलिए विदेशों से इसके भारी आयात की आवश्यकता बनी रहती है। इसमें तुवर, उड़द एवं मसूर मुख्य रूप से शामिल है।
दूसरी ओर चना, मूंग एवं मटर का उत्पादन बेहतर होता है जिसे देखते हुए सरकार ने मूंग के आयात पर घोषित एवं मटर के आयात पर अघोषित प्रतिबंध (अत्यन्त कठोर शर्त) लगा रखा है। देसी चना पर भारी-भरकम आयात शुल्क लगा हुआ है।
केन्द्र सरकार दलहनों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए एक नई योजना तैयार कर रही है जिसके तहत कुछ ऐसे चुनिंदा राज्यों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। जहां अक्सर अनियमित मौसम की वजह से फसल क्षतिग्रस्त हो जाती है।
दलहन उत्पादकों को आकर्षक एवं लाभप्रद वापसी सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया जाएगा। इस स्कीम का नाम 'भारत दाल उत्पादन स्वावलंबन अभियान' रखा गया है जिसका उद्देश्य दलहनों का उत्पादन बढ़ाना, बफर नियमों को पूरा करना तथा आयात पर निर्भरता को समाप्त करना है।
कमजोर उत्पादन एवं बढ़ते आयात के समय इस योजना को लागू किए जाने से किसानों को दलहनों की पैदावार बढ़ाने का अच्छा प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
इस महत्वाकांक्षी अभियान में जिन राज्यों को शामिल किया गया है उसमें गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश तेलंगाना, कर्नाटक एवं पश्चिम बंगाल मुख्य रूप से सम्मिलित हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि इस अभियान में राजस्थान को शामिल नहीं किया गया है जबकि वह मूंग एवं चना का महत्वपूर्ण उत्पादन प्रान्त है।
सरकार ने अपनी अधीनस्थ एजेंसी- भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) को इस स्कीम के क्रियान्वयन के लिए प्राथमिक एजेंसी नियुक्त करने का फैसला किया है।
यह एजेंसी किसानों से उसके सकल उत्पादन की खरीद के लिए उसका अग्रिम रजिस्ट्रेशन करेगी ताकि उन्हें आश्वस्त किया जा सके कि गेहूं एवं धान की भांति दलहनों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य अवश्य प्राप्त होगा।
इस स्किम के सहारे सरकार तुवर का उत्पादन 12 लाख टन तथा मसूर का उत्पादन 5 लाख टन बढ़ाना चाहती है। वर्तमान समय में बफर स्टॉक की जरूरत तुवर के लिए 10 लाख टन एवं मसूर के लिए 5 लाख टन की है।
इस स्कीम के पूरी तरह लागू होने के बाद तुवर का स्टॉक 8 लाख टन एवं मसूर का स्टॉक 4 लाख टन बढ़ने का भरोसा सरकार को है।