iGrain India - नई दिल्ली । अत्यन्त ऊंचे बाजार भाव एवं सीमित स्टॉक के बावजूद चालू रबी सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं का उत्पादन क्षेत्र पिछले सीजन के लगभग आसपास ही स्थिर रहने की संभावना है क्योंकि अगस्त के बाद अक्टूबर का महीना भी सूक्ष्म रहने से वर्षा पर आश्रित क्षेत्रों में खेतों की मिटटी में नमी का अभाव हो गया है और वहां किसान गेहूं की बिजाई में सावधानी बरत सकते हैं। ऐसे क्षेत्रों में किसान कम पानी की जरूरत वाली फसलों की खेती को प्राथमिकता दे सकते हैं।
उद्योग व्यापार समीक्षकों के अनुसार बिजाई क्षेत्र में वृद्धि की संभावना कम होने तथा अगले वर्ष (2024) की पहली तिमाही के दौरान तापमान सामान्य स्तर से ऊंचा रहने की आशंका से गेहूं की उपज दर प्रभावित होने पर इसके कुल उत्पादन में इजाफा होने की उम्मीद काफी कम है।
इससे सरकार को अगले साल भी गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए रखने के लिए विवश होना पड़ सकता है और यदि उत्पादन में ज्यादा गिरावट की आशंका उत्पन्न हुई तो विदेशों से इसके आयात पर भी विचार किया जा सकता है। फिलहाल गेहूं के आयात पर 40 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार 17 नवम्बर 2023 तक राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं का उत्पादन क्षेत्र 86 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंच सका जो गत वर्ष के बिजाई क्षेत्र से 5.5 प्रतिशत कम था।
विश्लेषकों के मुताबिक पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सिंचाई की अच्छी सुविधा उपलब्ध होने से किसानों को गेहूं का क्षेत्रफल गत वर्ष के स्तर पर बरकरार रखने में कठिनाई नहीं होगी और वहां गेहूं की उपज दर भी सामान्य रहने की उम्मीद की जा सकती है लेकिन मध्य प्रदेश में हालत अच्छी नहीं दिख रहे हैं और वहां किसान गेहूं के बजाए अन्य फसलों की खेती का दायरा बढ़ा सकते हैं।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश भारत का दूसरा सबसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य है जो केन्द्रीय पूल में पंजाब के बाद इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का सर्वाधिक योगदान देता है।
एक अग्रणी समीक्षक का कहना है कि मध्य प्रदेश में इस बार गेहूं के बिजाई क्षेत्र में 10 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। कुछ क्षेत्र में किसानों द्वारा गेहूं के बजाए चना की खेती को प्राथमिकता दिए जाने की संभावना है।
इसी तरह महाराष्ट्र में गेहूं का रकबा कुछ घटने की आशंका है क्योंकि वहां कुछ इलाकों में वर्षा का काफी अभाव रहा है। वहां गेहूं के बदले ज्वार तथा चना की बिजाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
पूर्वी क्षेत्र में बिहार की स्थिति कुछ ठीक नहीं लगती है क्योंकि वहां भी बारिश कम हुई है इसलिए किसानों का रुझान मक्का की तरफ बढ़ सकता है।
जहां सिंचाई की सुविधा है वहां तो गेहूं की अच्छी खेती होगी लेकिन जो इलाका वर्षा पर आश्रित है वहां अन्य फसलों का क्षेत्रफल बढ़ सकता है। गुजरात में भी क्षेत्रफल कुछ कम रहने का अनुमान है।