iGrain India - मास्को । रूस सरकार की कस्टम एवं टैरिफ रेफ्युलेशन समिति ने 1 दिसम्बर 2023 से 31 मार्च 2024 के चार महीनों तक देश से ड्यूरम गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है ताकि घरेलू प्रभाग में इसकी पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
उल्लेखनीय है कि कृषि मंत्रालय एवं आर्थिक विकास मंत्रालय ने इस आशय का प्रस्ताव रखा था। उसके आधार पर मुख्य खाद्यान्न- गेहूं, जौ, मक्का तथा राई के निर्यात का एक टैरिफ कोटा नियत किया गया है जो 15 फरवरी से 30 जून 2024 तक प्रभावी रहेगा।
इस कोटे की कुल मात्रा 240 लाख टन होगी। लेकिन यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के सदस्य देशों को होने वाले निर्यात पर यह कोटा प्रभवि नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि ड्यूरम गेहूं का इस्तेमाल मुख्यत: पास्ता बनाने में होता है। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार रूस से ड्यूरम गेहूं के निर्यातक में जबरदस्त इजाफा को देखते हुए इसका निर्यात रोकने का निर्णय लिया गया है।
रशियन ग्रेन यूनियन की रिपोर्ट के अनुसार 1 जुलाई से 10 नवम्बर 2023 के दौरान रूस से ड्यूरम गेहूं के निर्यात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 13 गुणा का इजाफा हो गया।
कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा था कि वैश्विक स्तर पर ड्यूरम गेहूं के उत्पादन में इस बार काफी गिरावट आ गई है जिससे संसार के अनेक देशों में इसकी मांग काफी बढ़ गई है। चूंकि अन्य प्रमुख निर्यातक देश इसका भारी-भरकम शिपमेंट करने की स्थिति में नहीं है इसलिए रूस से इसके निर्यात में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हो गई।
रूस से गेहूं का निर्यात घटने की सूचना मिल रही है। वहां उत्पादन तो बेहतर हुआ है और वैश्विक बाजार मूल्य में नरमी आई है लेकिन प्रमुख आयातक देशों में मांग कमजोर पड़ गई है।
रूस सरकार द्वारा गेहूं के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) के निर्धारण का प्रयास किए जाने से भी उत्पादकों एवं निर्यातकों के लिए समस्या बढ़ गई है।
मिस्र ने सितम्बर में रूस से 4.80 लाख टन गेहूं की खरीद से इंकार कर दिया था। रूस दुनिया में गेहूं का सबसे प्रमुख निर्यातक एवं तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।