iGrain India - नई दिल्ली । वैश्विक कॉमोडिटी मार्केट की एक अग्रणी विश्लेषक फर्म ने कहा है कि अल नीनो मौसम चक्र के प्रकोप से शीतकालीन सीजन के दौरान बारिश में कमी आ सकती है जिससे रबी कालीन फसलों और खासकर गेहूं की फसल पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
अमरीकी जलवायु पूर्वानुमान केन्द्र के अनुसार इस बार 'सुपर अल नीनो' के चांस बन रहे हैं जिससे शीतकालीन में मौसम सामान्य से ज्यादा शुष्क रह सकता है और गेहूं की फसल को हानि हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2023-24 के वर्तमान रबी सीजन हेतु 1140 लाख टन गेहूं के घरेलू उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है जो 2022-23 सीजन के अनुमानित उत्पादन 1105 लाख टन से ज्यादा है।
लेकिन गेहूं का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष से करीब 7-8 लाख हेक्टेयर पीछे चल रहा है। इससे संकट बढ़ने की आशंका है। दिलचस्प तथ्य यह है कि भारत में वर्ष 2023 के दौरान एक माह छोड़कर दूसरे माह में अच्छी बारिश होती रही है।
जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून कमजोर रहा जबकि जुलाई में शानदार वर्षा हुई। अगस्त में मौसम अत्यन्त शुष्क एवं गर्म रहा मगर सितम्बर में देश के कई राज्यों में सामान्य बारिश दर्ज की गई।
इसी तरह अक्टूबर में वर्षा का अभाव देखा गया लेकिन नवम्बर में दक्षिणी भारत एवं पश्चिमोत्तर तथा पश्चिमी प्रांतों में अच्छी बारिश हो गई।
इसे देखते हुए फिलहाल मौसम की ओर से ज्यादा चिंता नहीं है और आगामी दिनों में गेहूं सहित अन्य रबी फसलों की अच्छी बिजाई होने की उम्मीद की जा सकती है।
लेकिन असली खतरा जनवरी से मार्च 2024 में उत्पन्न होने की आशंका है जब अल नीनो अपने पीक पर पहुंचेगा। वह अवधि गेहूं की फसल की प्रगति के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है क्योंकि उस समय पौधों में फूल तथा दाना लगने और उसेक पुष्ट होने की प्रक्रिया जारी रहती है। यदि वर्ष 2024 की पहली तिमाही में मौसम अनुकूल नहीं रहा तो गेहूं की फसल के लिए खतरा बढ़ जाएगा।
भारत में गेहूं के आयात पर फिलहाल 40 प्रतिशत का भारी भरकम सीमा शुल्क लगा हुआ है जिससे विदेशों से इसे मंगाना लाभप्रद साबित नहीं हो रहा है।
ऐसी चर्चा हो रही है कि सरकार इस सीमा शुल्क को कम या खत्म कर सकती है मगर आधिकारिक तौर पर इसकी संभावना से इंकार किया गया है।
समीक्षकों का कहना है कि सीमा शुल्क में कटौती करने या नहीं करने का निर्णय लेने से पूर्व सरकार गेहूं की बिजाई प्रक्रिया समाप्त होने का इंतजार करेगी और फसल की प्रगति पर गहरी नजर रखेगी। आवश्यकता पड़ने पर ही गेहूं के आयात शुल्क में बदलाव किया जाएगा।