iGrain India - नई दिल्ली । मोजाम्बिक सरकार ने अपनी संसद को सूचित किया है कि एक अदालत ने भारत को और अधिक तुवर का निर्यात करने पर प्रतिबंध लगाते हुए इसकी मात्रा 8.00 लाख टन तक सीमित रखने का निर्देश दिया है।
मोजाम्बिक के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री ने कहा है कि अदालत का यह निर्णय तुवर के एक निर्यातक के आग्रह पर सामने आया है जिसने भारत को 2 लाख टन के नियत कोटे से ज्यादा मात्रा में अरहर के निर्यात को चुनौती दी थी और इसका प्रतिरोध किया था। उसने आरोप लगाया था कि इससे उसके व्यवसाय को नुकसान होने का खतरा है।
जब मोजाम्बिक के अधिकारियों ने घोषणा कि की भारत को मार्च 2024 तक 2 लाख टन तुवर के निर्यात की सीमा समाप्त कर दी जाएगी और मनचाही मात्रा में वहां इसका निर्यात किया जा सकेगा तब उक्त निर्यातक ने कोर्ट में मामला दायर कर दिया।
वाणिज्य मंत्री ने कहा है कि यह सरकार के लिए हैरान करने वाला मामला है कि फरवरी में जिस निर्यातक ने टेंडर लांच किया था और भारत को तुवर के निर्यात पर सहमति व्यक्त की थी उसमें से एक निर्यातक ने कोर्ट में क़ानूनी कार्रवाई के लिए अपील की और अदालत से केवल 2 लाख टन तक के निर्यात कोटे को बरकरार रखने का आग्रह किया।
अदालत ने न केवल उसके आग्रह को स्वीकार कर लिया बल्कि सीरियल्स इंस्टीट्यूट ऑफ मोजाम्बिक (सीआईएम) को तुवर के लिए सर्टिफिकेट ऑफ ओरीजिन जारी रखने से भी रोक दिया।
इस संस्था को मूल उद्गम प्रमाण पत्र जारी करने से रोका जाना बहुत बड़ी बात है। वर्ष 2016 से ही उसे इसका अधिकार और दायित्व मिला हुआ था जब भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने तुवर के मुक्त निर्यात की अनुमति देने का आग्रह मोजाम्बिक सरकार से किया था।
भारत ने अल नीनो के कारण तुवर का उत्पादन घटने की संभावना है इसलिए वहां की सरकार मोजाम्बिक से इसके नियंत्रण मुक्त आपूर्ति की उम्मीद कर रही है। वाणिज्य मंत्रालय ने मोजाम्बिक सरकार से 2 लाख टन के निर्यात कोटे को समाप्त करने का आग्रह किया है।
मोजाम्बिक की सरकार ने कोर्ट के निर्णय के खिलाफ ऊंची अदालत में अपील दायर की है। जब तक वहां से पहला निर्णय आएगा तब तक मोजाम्बिक से 2.65 लाख टन तुवर का निर्यात पहले ही हो चुका है।
इसमें से भारत को 2.29 लाख टन तुवर का शिपमेंट हुआ और शेष भाग का निर्यात ब्रिटेन, इंडोनेशिया, मलावी एवं तंजानिया को किया गया।
मोजाम्बिक के बंदरगाह पर अब भी करीब 1.50 लाख टन तुवर का ऐसा स्टॉक पड़ा हुआ है जिसे भारत को भेजा जाना है। वाणिज्य मंत्री ने अपनी सरकार से इन बाधाओं को दूर करने के लिए प्रभावी ढंग से मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।