iGrain India - नई दिल्ली । ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी भाग में हो रही बेमौसमी वर्षा से शीतकालीन फसलों के लिए खतरा बढ़ गया है। यह बारिश ऐसे समय में हो रही है जब ऑस्ट्रेलिया में फसलों की कटाई-तैयारी का सीजन पीक पर पहुंच गया है।
विक्टोरिया प्रान्त के प्रमुख मसूर उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश होने की सूचना मिल रही है। वहां सप्ताहांत के दौरान रुद्रग्लेन क्षेत्र में 35 मि०मी० वर्षा दर्ज की गई जबकि आगे 10-20 मि०मी० और बारिश होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
इससे मसूर, गेहूं एवं कैनोला की खड़ी फसल को काफी नुकसान हो सकता है। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि असामयिक बारिश से वहां फसलों को कितनी क्षति हुई है।
साउथ ऑस्ट्रेलिया प्रान्त में मसूर की अधिकांश फसल की कटाई-तैयारी पहले ही पूरी हो चुकी है जबकि विक्टोरिया प्रान्त में 65-70 प्रतिशत फसल काटी गई है।
आमतौर पर काटी गई फसल के तहत मसूर, चना, मटर एवं फाबा बीन्स के दाने की क्वालिटी सामान्य औसत से बेहतर रही जिससे उत्पादकों को अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद है।
वर्ष 2023 के दौरान ऑस्ट्रेलिया में 14 लाख टन मसूर के उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है जबकि 2022 का उत्पादन 19 लाख टन आंका गया है।
इस तरह वहां मसूर के उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले चालू वर्ष के दौरान करीब 5 लाख टन की गिरावट आने की संभावना है जिसका इसकी कीमतों पर सकारात्मक असर पड़ सकता है। दिलचस्प तथ्य यह है कि मसूर का यह उत्पादन आंकड़ा सरकारी एजेंसी- अबारेस के अनुमान से काफी बड़ा है।
वर्तमान समय में ऑस्ट्रेलिया में निप्पर टाइप के मसूर का ऑफर मूल्य 1005-1010 डॉलर (ऑस्ट्रेलियन) प्रति टन (डीसीटी) चल रहा है जबकि खरीदारों की बोली 990-1000 डॉलर प्रति टन की लग रही है।
यद्यपि डीसीटी भाव 1020 डॉलर प्रति टन से घटकर कुछ नीचे आया है लेकिन अमरीकी डॉलर के सापेक्ष ऑस्ट्रेलियन डॉलर की विनिमय दर मजबूत होकर 0.663 अंक पर पहुंचने से भारत के कोलकाता बंदरगाह पर इसकी पहुंच का खर्च 725-730 अमरीकी डॉलर प्रति टन बैठ रहा है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार परिवहन चुनौतियों के कारण सामुद्रिक किराया भाड़ा बढ़ने की संभावना है जबकि खाली कंटेनरों का अभाव भी वहां देखा जा रहा है।