iGrain India - मास्को । रूस की मुद्रा हाल के दिनों में काफी मजबूत हुई है और 1 अमरीकी डॉलर 88.5 के समतुल्य हो गया है। इसके अलावा रूस ने अनेक जिंसों पर 7 प्रतिशत की दर से निर्यात शुल्क लगा दिया है जिसमें मसूर भी शामिल है।
इसके फलस्वरूप वैश्विक निर्यात बाजार में रुसी मसूर का ऑफर मूल्य काफी हद तक अनाकर्षक था गैर प्रतिस्पर्धी हो गया है। वहां लाल मसूर का निर्यात योग्य स्टॉक लगभग समाप्त हो गया है इसलिए इसकी बिक्री को कोई ऑफर नहीं दिया जा रहा है।
उधर कजाकिस्तान में सामान्य औसत क्वालिटी (एफएक्यू) श्री लाल मसूर का थोड़ा बहुत स्टॉक मौजूद है जिसका मेरसिन या भूमध्य सागरीय बंदरगाहों तक पहुंच का भाव 725-735 डॉलर प्रति टन बताया जा रहा है।
रूस की हरी मसूर का अधिकांश निर्यात तुर्की को हो रहा है जो इससे मूल्य संवर्धित उत्पादों का निर्माण करके उसे उत्तरी अफ्रीका के देशों और खासकर अल्जीरिया तथा मिस्र को उसका निर्यात करता है।
दरअसल कनाडा में हरी मसूर का भाव उछलकर अत्यन्त ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है जिसके मुकाबले रूस की हरी मसूर काफी सस्ते दाम पर उपलब्ध है इसलिए तुर्की के मिलर्स एवं आयातक इसकी खरीद में भारी रूचि दिखा रहे हैं।
रुसी हरी मसूर का चेन्नई पहुंच भाव 1200 डॉलर प्रति टन के आसपास बताया जा रहा है। लेकिन भारतीय आयातक 1150 डॉलर प्रति टन से ऊंचे दाम पर इसकी खरीद के लिए तैयार नहीं हैं।
कनाडा में स्टॉक सीमित होने से मोटी हरी मसूर का भाव उछलकर 72 सेंट प्रति पौंड के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है जिससे इसकी खरीद में विदेशी आयातकों की दिलचस्पी काफी घट गई है।