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विधानसभा चुनाव के दौरान ऊंचे एमएसपी के किए गए वादे को निभाने की रहेगी चुनौती

प्रकाशित 04/12/2023, 10:42 pm
विधानसभा चुनाव के दौरान ऊंचे एमएसपी के किए गए वादे को निभाने की रहेगी चुनौती

iGrain India - नई दिल्ली । वादा करना तो आसान होता है मगर उसे निभाना या पूरा करना अत्यन्त कठिन होता है। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में भाजपा की तथा तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनी है।

इन दोनों पार्टियों ने चुनाव प्रचार के दौरान तथा चुनावी घोषणा पत्र में किसानों से बड़े-बड़े वादे किए थे। छत्तीसगढ़ में तो धान का खरीद मूल्य बढ़ाने की इसमें होड़ हुई थी। इसके तहत खासकर धान एवं गेहूं के खरीद मूल्य में जबरदस्त इजाफा करने का वादा भी शामिल है।

छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मध्य प्रदेश केन्द्रीय पूल में धान-चावल का तथा मध्य प्रदेश एवं राजस्थान गेहूं का भारी योगदान देते हैं। 

ध्यान देने की बात है कि विभिन्न फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है इसलिए राज्य सरकार ने जिस खरीद मूल्य की घोषणा की थी वह एमएसपी से ऊपर का बोनस माना जा सकता है।

मध्य प्रदेश में भाजपा ने 18.68 प्रतिशत के बोनस का वादा किया है जबकि छत्तीसगढ़ में 2023-24 सीजन के लिए नियत समर्थन मूल्य से 42 प्रतिशत ऊंचे दाम पर सामान्य श्रेणी के धान की खरीद का वादा किया है।

इसी तरह तेलंगाना में कांग्रेस ने धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से 500 रुपए प्रति क्विटंल का अतिरिक्त बोनस देने की घोषणा की है जो केन्द्रीय समर्थन मूल्य का करीब 23 प्रतिशत है। सभी राज्यों में धान की खरीद प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। जो किसान पहले ही अपना धान सरकारी एजेंसियों को बेच चुके हैं उन्हें भी यह बोनस प्राप्त होगा। 

अब एक खास बात। केन्द्र सरकार ने एमएसपी से ऊपर बोनस की घोषणा को हतोत्साहित करने के लिए वर्ष 2014 में एक ऑफिशियल लेटर जारी किया था जिसमें कहा गया था कि यदि कोई अधिशेष विकेन्द्रीकृत खरीद वाला राज्य एमएसपी से ऊपर बोनस की घोषणा करता है

तो केन्द्र वहां केन्द्रीय पूल के लिए उस अनाज की खरीद इस मात्रा तक सीमित कर सकता है जो उस राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के प्रबंधन के लिए आवश्यक होगी।

यदि केंद्रीयकृत खरीद वाला राज्य बोनस घोषित करता है तो केन्द्र वहां केन्द्रीय पूल के लिए खरीद की प्रक्रिया में भाग नहीं लेगा। बाद में इस नियम में कुछ संशोधन- परिवर्तन किया गया लेकिन इतना सुनिश्चित हो गया कि केन्द्र सरकार केवल केन्द्रीय पूल के लिए आवश्यक मात्रा में ही खाद्यान्न की खरीद करेगी और उससे ज्यादा की खरीद का भार राज्यों को उठाना होगा।

केन्द्र सरकार के इस पत्र का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि राज्यों द्वारा मनमाने तरीक़े से बोनस की घोषणा न की जाए। मगर इस बार स्वयं भाजपा ने इस नियम को तोड़ने का प्रयास किया।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने पिछले चुनाव में धान पर अतिरिक्त बोनस की घोषणा की थी और उसे निभाया। लेकिन इस बार भाजपा का बोनस बहुत ऊंचा है और इसे निभाने पर राजकोष पर जबरदस्त भार पड़ेगा।

मध्य प्रदेश और तेलंगाना में भी यही स्थिति है। आगे जब गेहूं की खरीद शुरू होगी तब भी राज्य सरकारों को विशाल अतिरिक्त राशि खर्च खरने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

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