iGrain India - कैनबरा । अल नीनो मौसम चक्र की वजह से इस वर्ष ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न राज्यों में बारिश तथा गर्मी (तापमान) में मिश्रित रुख देखा गया। वहां पांच राज्यों- क्वींसलैंड, न्यू साउथ वेल्स, विक्टोरिया, साउथ ऑस्ट्रेलिया एवं वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में फसल उत्पादन की स्थिति अलग-अलग रही।
सरकारी एजेंसी- अबारेस ने 2023-24 के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर शीतकालीन फसलों का कुल उत्पादन घटकर 461 लाख टन पर सिमटने का अनुमान लगाया है जो 2022-23 सीजन के रिकॉर्ड उत्पादन से काफी कम और दस वर्षीय औसत उत्पादन से कुछ नीचे है। शीतकालीन फसलों में गेहूं, जौ, कैनोला, मसूर, चना, मटर एवं फाबा बीन्स आदि मुख्य रूप से शामिल हैं।
ऑस्ट्रेलिया में अल नीनो मौसम चक्र का प्रकोप अभी समाप्त नहीं हुआ है इसलिए वसंतकाल के दौरान वहां बारिश कम होने तथा तापमान ऊंचा रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसके फलस्वरूप ऑस्ट्रेलिया में ग्रीष्म कालीन फसलों के बिजाई क्षेत्र में गिरावट आने की संभावना है। ग्रीष्मकालीन सीजन के दौरान ऑस्ट्रेलिया में ज्वार, कपास, धान एवं मूंग आदि की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
अबारेस की रिपोर्ट के अनुसार पिछले सीजन की तुलना में 2023-24 के शीतकालीन सीजन के दौरान कृषि उत्पादन में 33 प्रतिशत की जबरदस्त गिरावट आने की संभावना है। फसल कटाई के दौरान हुई बेमौसमी बारिश से भी कुछ फसलों को नुकसान होने की आशंका है।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान ऑस्ट्रेलिया में गेहूं का उत्पादन 37 प्रतिशत लुढ़ककर 255 लाख टन, कैनोला का उत्पादन 33 प्रतिशत घटकर 55 लाख टन तथा जौ का उत्पादन 24 प्रतिशत गिरकर 108 लाख टन पर सिमट जाने का अनुमान है।
हालांकि शीतकालीन फसलों के बिजाई क्षेत्र में ज्यादा गिरावट नहीं आई और कुल रकबा 230 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया जो दस वर्षीय औसत क्षेत्रफल से 4 प्रतिशत अधिक रहा मगर प्रतिकूल मौसम के कारण फसलों की औसत उपज दर में काफी गिरावट आ गई इसलिए कुल उत्पादन घट गया। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष शीतकालीन फसलों के बिजाई क्षेत्र में न्यू साउथ वेल्स प्रान्त में 6 प्रतिशत वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में भी 6 प्रतिशत तथा क्वींसलैंड में 9 प्रतिशत की गिरावट आई।
ऑस्ट्रेलिया में ग्रीष्मकालीन फसलों का उत्पादन 2023-24 के सीजन में 27 प्रतिशत घटकर 38 लाख टन पर सिमट जाने का अनुमान लगाया जा रहा है लेकिन फिर भी यह 10 वर्षीय औसत उत्पादन 35 लाख टन से कुछ ज्यादा है।
इसके तहत ज्वार का उत्पादन 45 प्रतिशत लुढ़ककर 15 लाख टन, रूई का उत्पादन 26 प्रतिशत घटकर 9.25 लाख टन पर सिमटने की संभावना है जबकि चावल का उत्पादन 35 प्रतिशत बढ़कर 7 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है।