iGrain India - गुंटूर । बंगाल की खाड़ी से उत्पन्न भयंकर समुद्री- चक्रवाती तूफान- मिचौंग तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश एवं उड़ीसा के तटवर्ती जिलों तथा तेलंगाना के कई भागों में काफी सक्रिय रहा। इसके फलस्वरूप न केवल उन क्षेत्रों में अत्यन्त मूसलाधार बारिश हुई बल्कि 90-100 कि०मी० प्रति घंटे की रफ्तार से हवा भी चली।
इससे गुंटूर, ओंगोले, कृष्ण एवं खम्माम जैसे जिलों में लालमिर्च की फसल को नुकसान होने की सूचना मिल रही है। व्यापारियों एवं निर्यातकों का कहना है कि इस तूफान की वजह से आंध्र प्रदेश में लालमिर्च की करीब 20 प्रतिशत फसल क्षतिग्रस्त हो गई है। लालमिर्च की नई फसल की तुड़ाई-तैयारी में भी करीब एक माह की देर होने की संभावना है क्योंकि इसकी बिजाई लेट से हुई थी। कई क्षेत्रों में पानी भर गया है।
ऑल इंडिया चिली एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के चेयरमैन के अनुसार मिचौंग तूफान के प्रकोप से लालमिर्च की 15-20 प्रतिशत फसल बुरी तरह प्रभवित हुई है। उपरोक्त चार जिलों के अलावा कुछ अन्य जिलों में भी फसल को क्षति हुई है जिसका आंकलन आगामी समय में होना है। लेकिन राहत की बात यह है कि लालमिर्च की फसल को तेलंगाना के वारंगल एवं कुर्नूल जिलों में कोई नुकसान नहीं हुआ है।
उल्लेखनीय है कि आंध्र प्रदेश लालमिर्च का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है जबकि तेलंगाना दूसरे एवं मध्य प्रदेश तीसरे नम्बर पर रहता है। इसके अलावा कर्नाटक, तमिलनाडु एवं उड़ीसा सहित कुछ अन्य प्रांतों में भी इसका उत्पादन होता है। मिचौंग तूफान एक डिप्रेशन के रूप में आंध्र प्रदेश पहुंचा था जिससे वहां तेज हवा के साथ मूसलाधार वर्षा हुई थी।
चेयरमैन के अनुसार फिलहाल फसल को हुए नुकसान की निश्चित मात्रा का अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी। कुछ प्रभावित क्षेत्रों में किसान लालमिर्च की दोबारा बिजाई करने का प्रयास कर सकते हैं।
फसल को हुए नुकसान की वास्तविक तस्वीर अगले 15-20 दिन में सामने आ सकती है क्योंकि इसकी खेती अधिकांशत: काली मिटटी वाले क्षेत्र में होती है और इस मिटटी को सूखने में काफी समय लग सकता है।
फसल को हुए नुकसान की सूचना आने के बाद 6 दिसम्बर को गुंटूर और खम्माम की मंडियों में 5 रुपए प्रति किलो की बढ़ोत्तरी हो गई जबकि आगे इसमें 10 रुपए प्रति किलो तक की और बढ़ोत्तरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है।