iGrain India - स्टॉक होम । वर्ल्ड बैंक एवं एक रिसर्च एजेंसी ने कहा है कि वर्ष 2024 में खाद्यान्न के वैश्विक बाजार मूल्य में गिरावट आने की संभावना है लेकिन यदि भारत की निर्यात नीति में बदलाव नहीं हुआ तो चावल का भाव नीचे आना संभव नहीं होगा क्योंकि भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश है और वैश्विक बाजार भाव को संतुलित या स्तिर रखने में इसकी सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।
वर्ल्ड बैंक कॉमोडिटी आउटलुक में कहा गया है कि वर्ष 2024 में बेशक चावल का वैश्विक बाजार भाव ऊंचा रह सकता है लेकिन मक्का एवं गेहूं के दाम में नरमी का माहौल रहेगा क्योंकि इसकी वैश्विक आपूर्ति एवं उपलब्धता में सुधार आने के आसार हैं।
इसी तरह रिसर्च एजेंसी ने कहा है कि खाद्यान्न का वैश्विक बाजार वर्ष 2024 में भी अपेक्षाकृत जटिल बना रहेगा। यदि अल नीनो का गहरा असर पड़ा तो कुछ जिंसों की आपूर्ति में कमी आ सकती है। ऑस्ट्रेलिया में गेहूं का उत्पादन काफी घटने की संभावना है।
रिसर्च एजेंसी के मुताबिक 2023 के मुकाबले वर्ष 2024 के दौरान शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबोट) में मक्का के वायदा मूल्य में 9.9 प्रतिशत, गेहूं में औसतन 5.7 प्रतिशत तथा सोयाबीन के औसत वायदा भाव में 3.9 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है।
यदि इन तीनों जिंसों का आंकलन समान भारित आधार पर किया जाए तो इसके औसत मूल्य में 6.5 प्रतिशत की नरमी आ सकती है। 2023-24 सीजन के दौरान अनेक प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देशों में शानदार उत्पादन होने की संभावना से बाजार भाव पर दबाव बढ़ सकता है। रूस में गेहूं का उत्पादन अत्यन्त विशाल होने के आसार हैं जबकि ब्राजील से वैश्विक बाजार में मक्का एवं सोयाबीन की आपूर्ति बढ़ने की उम्मीद है।