iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के अधीनस्थ चीनी एवं वनस्पति तेल निदेशालय ने देश भर की सभी चीनी मिलों एवं डिस्टीलरिज को निर्देश दिया है कि वे 2023-24 के वर्तमान एथनॉल मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) के दौरान एथनॉल के निर्माण में गन्ना जूस / शुगर सीरप का इस्तेमाल न करें।
निदेशालय का यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। निदेशालय द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि सरकार देश में चीनी के उत्पादन, इसकी बिक्री एवं स्टॉक की उपलब्धता पर गहरी नजर रखती है ताकि घरेलू खपत के लिए सकी पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके और इसकी कीमतों में स्थिरता बरकरार रह सके। आम लोगों को उचित मूल्य पर चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार चीनी (नियंत्रण) आदेश, 1966 को क्रियान्वित कर रही है।
सर्कुलर के अनुसार इस आदेश के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सभी चीनी मिलों एवं डिस्टीलरिज को निर्देश दिया जाता है कि वे चालू मार्केटिंग सीजन के दौरान अब एथनॉल निर्माण में गन्ना जूस एवं शुगर सीरप का उपयोग न करे। बी-हैवी शीरा से निर्मित एथनॉल की आपूर्ति के लिए पेट्रोलियम कंपनियों (ओएमसी) से जो ऑफर पहले ही प्राप्त हो चुके हैं उसे पूरा किया जा सकता है।
गन्ना की कमजोर पैदावार को देखते हुए सरकार की ओर से इस तरह का निर्देश आने का अनुमान पहले से ही लगाया जा रहा था। सरकार को आशंका है कि यदि एथनॉल निर्माण में गन्ना के रस या शुगर सीरप का इस्तेमाल जारी रहा तो चीनी के उत्पादन में भारी गिरावट आ जाएगी और तब इसकी कीमतों में आने वाली तेजी को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाएगा।
हालांकि यह माना जा रहा है कि गन्ना पर आधारित एथनॉल ग्रामीण क्षेत्र की अर्थ व्यवस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है और पेट्रोल में इसका मिश्रण बढ़ने से पेट्रोलियम के आयात पर खर्च होने वाली राशि में कटौती करने में सहायता मिल रही है लेकिन साथ ही साथ चीनी का पर्याप्त घरेलू उत्पादन होना भी आवश्यक है।