iGrain India - विजयवाड़ा । हालांकि आमतौर पर मिचौंग समुद्री चक्रवाती तूफान की वजह से तेज हवा के साथ हुई मूसलाधार वर्षा के कारण आंध्र प्रदेश में लालमिर्च की फसल को काफी नुकसान होने की आशंका व्यक्त की जा रही है लेकिन हैदराबाद के एक अग्रणी व्यापारी की राय इससे कुछ अलग है।
इस व्यापारी के अनुसार हाल की वर्षा लालमिर्च की इस फसल के लिए काफी लाभदायक साबित होगी जिसकी बिजाई लेट से हुई है। इस बार पानी की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने से आंध्र प्रदेश में 80-90 प्रतिशत क्षेत्रफल में लालमिर्च की बिजाई देर से होने की सूचना है।
व्यापारी के अनुसार केवल सही समय पर बिजाई होने वाली फसल इस मूसलाधार वर्षा से आंशिक तौर पर प्रभावित होने की आशंका है क्योंकि उसमें फूल तथा देना लगने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। लेकिन लालमिर्च के कुछ उत्पादन क्षेत्र में ऐसी फसल की भागीदारी 10-20 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है।
व्यापारी के अनुसार प्रमुख उत्पादन जिलों में लालमिर्च फसल की तुड़ाई-तैयारी फरवरी के अंत में शुरू होने की संभावना है जबकि कुर्नूल एवं अनन्तपुरम जैसे जिलों में फसल की तुड़ाई जनवरी में आरंभ हो सकती है क्योंकि वहां सही समय पर इसकी बिजाई हो गई थी।
आंध्र प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज में लगभग 35 लाख बोरी (40 मिलो की प्रत्येक बोरी) लालमिर्च का स्टॉक अभी मौजूद मौजूद है जबकि तेलंगाना में इसकी मात्रा 10-12 लाख बोरी के करीब बताई जा रही है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2022-23 सीजन के दौरान देश में करीब 20.60 लाख टन लालमिर्च का उत्पादन हुआ जिसमें आंध्र प्रदेश की भागीदारी सबसे ज्यादा 7.67 लाख टन रही।
इसके बाद तेलंगाना में 5.06 लाख टन, मध्य प्रदेश में 3.22 लाख टन एवं कर्नाटक में 1.67 लाख टन लालमिर्च का उत्पादन हुआ। मिचौंग तूफान एवं मूसलाधार वर्षा से लालमिर्च की फसल को किस क्षेत्र में कितना नुकसान हुआ है इसकी स्पष्ट तस्वीर चालू माह के अंत तक सामने आ जाएगी।