iGrain India - नई दिल्ली । घरेलू प्रभाग में जमाखोरी रोकने एवं सटोरिया प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकार ने 12 जून 2023 को गेहूं पर भंडारण सीमा का आदेश लागू किया था और इसकी समय सीमा 31 मार्च 2024 तक निर्धारित की थी।
यह स्टॉक लीमिट आर्डर देश के सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में समान रूप से लागू हुआ था। अब केन्द्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने स्टॉक सीमा की समीक्षा करने के बाद सभी संवर्गों के लिए गेहूं की निर्यात मात्रा में कटौती कर दी है ताकि खुले बाजार में इसकी उपलब्धता में बढ़ोत्तरी हो सके।
नए समीक्षित नियम के अनुसार व्यापारियों / स्टॉकिस्टों के लिए गेहूं की भंडारण सीमा (मात्रा) को 2000 टन से घटकर 1000 टन, रिटेलर्स के लिए प्रत्येक रिटेल आउटलेट हेतु 10 टन से घटाकर 5 टन तथा बिग चेन रिटेलर्स के लिए प्रत्येक आउटलेट हेतु 10 टन से घटाकर 5 टन एवं उसके सभी डिपो पर कुल मिलाकर 2000 टन से घटाकर 1000 टन नियत किया गया है।
इसी तरह प्रोसेसर्स के लिए उसकी वर्षिक संचित क्षमता के 75 प्रतिशत अथवा मासिक संचित क्षमता की उस मात्रा के समतुल्य जो 2023-24 के मार्केटिंग सीजन के शेष महीनों द्वारा मल्टीप्लाई किया गया हो गेहूं की स्टॉक सीमा नियत की गई थी लेकिन अब इसे 70 प्रतिशत निर्यात किया गया है। इस भंडारण सीमा आदेश के लागू होने के बाद सभी सम्बन्धित वर्गों की गेहूं का स्टॉक घटाने के लिए विवश होना पड़ेगा।
सरकार को उम्मीद है कि इससे गेहूं की कीमतों में कुछ नरमी आएगी। ज्ञात हो कि खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत सरकारी गेहूं की अच्छी बिक्री होने के बावजूद थोक मंडियों में गेहूं के दाम पर कोई खास असर नहीं पड़ा है और न ही यह भंडारण सीमा आदेश से प्रभावित हुआ है जिससे सरकार की चिंता काफी बढ़ गई है।
गेहूं की आपूर्ति का ऑफ़ या लीन सीजन आरंभ हो चुका है जो कमोबेश मार्च 2024 तक जारी रहेगा। इस अवधि में गेहूं तथा इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों की कीमतों में और भी तेजी आने की आशंका व्यक्त की जा रही थी इसलिए सरकार ने एहतियाती कदम उठाते हुए गेहूं की भंडारण सीमा के आदेश को और भी सख्त बनाने का निर्णय ले लिया। वैसे इस निर्णय का भी गेहूं के बाजार भाव पर विशेष असर पड़ने की संभावना नहीं है।