iGrain India - नई दिल्ली । चीनी उत्पादन की स्थिति को सामान्य स्तर पर रखने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने एथनॉल निर्माण में गन्ना जूस एवं शुगर सीरप के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। देश भर की चीनी मिलों को इस आशय का निर्देश दिया जा चुका है।
इसमें कहा गया है कि एथनॉल के उत्पादन में गन्ना के रस एवं बी-हैवी शीरा का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यह आदेश प्रभाव से लागू हो गया है। इससे पूर्व एथनॉल निर्माण में इसके उपयोग की अनुमति थी। समझा जाता है कि घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए देश में चीनी की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु सरकार ने यह कदम उठाया है।
खाद्य मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) में तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा प्राप्त मौजूदा ऑफर्स के तहत बी-हैवी शीरा से निर्मित एथनॉल की आपूर्ति जारी रखी जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि बी-हैवी शीरा में चीनी का भारी अंश मौजूद रहता है। यदि एथनॉल निर्माण में इसका उपयोग बंद हुआ तो चीनी का कुछ अतिरिक्त उत्पादन हो सकता है। सरकार को ओएमसी को गन्ना जूस अथवा शुगर सीरप से पहले ही सीधे तौर पर उत्पादित एथनॉल को स्वीकार करने की अनुमति प्रदान कर दी है।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार इस नियंत्रण के बाद घरेलू बाजार के लिए करीब 25 लाख टन अतिरिक्त चीनी का स्टॉक उपलब्ध हो सकता है जिससे इसकी कीमतों पर दबाव पड़ने की संभावना है।
पहले 2023-24 सीजन के दौरान मांग एवं आपूर्ति का संतुलन बनाने के बाद करीब 15 लाख टन चीनी का अधिशेष स्टॉक बचने की संभावना थी मगर अब यह बढ़कर 40 लाख टन के आसपास पहुंच सकती है। इसके फलसवरूप 2023-24 के मार्केटिंग सीजन के अंत में चीनी का कुल अधिशेष स्टॉक काफी बढ़ जाएगा।
लेकिन सरकार के इस निर्णय से एथनॉल के उत्पादन में भारी गिरावट आएगी और पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण का लक्ष्य हासिल करना संभव नहीं हो पाएगा। सरकार की पहली प्राथमिकता चीनी की उपलब्धता बढ़ाने एवं कीमतों को नियंत्रित करने की है। सरकार की घोषणा के बाद चीनी कंपनियों के शेयर मूल्य में भारी गिरावट आ गई।