iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत देश भर के मिलर्स एवं प्रोसेसर्स को काफी सस्ते दाम पर गेहूं उपलब्ध करवा रही है जबकि व्यापारियों को इसकी खरीद से वंचित रखा गया है।
मंडियों में सीमित आपूर्ति एवं उपलब्धता के कारण गेहूं का भाव सरकारी समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है। उत्तर प्रदेश रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के भूतपूर्व अध्यक्ष प्रमोद कुमार वैश्य का कहना है कि परम्परा के विपरीत अब उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण राज्यों में गेहूं का भाव सस्ते दाम पर उपलब्ध हो रहा है।
पहले उत्तरी राज्यों वे दक्षिण में गेहूं एवं इसके उत्पादों को भेजा जाता था मगर अब यह कारोबार लगभग बंद हो गया है। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में गेहूं का औसत मंडी भाव 2500-2600 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है जबकि तमिलनाडु, कर्नाटक एवं तेलंगाना सहित सहित अन्य दक्षिणी राज्यों में 2150-2200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से सरकारी गेहूं प्राप्त हो रहा है। उत्तरी राज्यों के मिलर्स- प्रोसेसर्स को भी सस्ता गेहूं मिल रहा है। इससे व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा है।
प्रमोद वैस का कहना है कि सरकार की अपनी बाध्यता है इसलिए नीतियों में लगातार बदलाव किया जा रहा है। हाल में ही उसने गेहूं के स्टॉक की सीमा में 50 प्रतिशत की कटौती कर दी है और थोक व्यापारियों / स्टॉकिस्टों के लिए स्टॉक की मात्रा 2000 टन से घटाकर 1000 टन नियत की गई है।
लेकिन इससे बाजार में 100-125 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा की नरमी नहीं आ पायेगी क्योंकि केवल गिने-चुने व्यापारियों के पास ही 1000 टन से ज्यादा गेहूं का स्टॉक था। ओएमएसएस के तहत साप्ताहिक ई-नीलामी के लिए गेहूं का ऑफर 3 लाख टन से बढ़ाकर 4 लाख टन कर दिया गया है जिससे मिलर्स-प्रोसेसर्स को और अधिक मात्रा में सस्ता सरकारी गेहूं मिलने लगेगा।
सरकार खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ये सब कदम उठा रही है। अभी गेहूं की आपूर्ति का ऑफ सीजन चल रहा है इसलिए सरकार को अपने स्टॉक की बिक्री बढ़ाकर बाजार पर दबाव बनाने का प्रयास करना पड़ रहा है।
सरकार एक तरफ किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देना चाहती है तो दूसरी ओर आम उपभोक्ताओं को भी उचित दाम पर गेहूं उत्पाद उपलब्ध करवाने का इरादा रखती है। अगले साल अप्रैल-मई में आम चुनाव होना है और इस पर भी सरकार का ध्यान केन्द्रित है।
उसी समय घरेलू मंडियों में गेहूं की सर्वाधिक आवक होती है। सरकार का इरादा अप्रैल-मई तक गेहूं का भाव घटाकर समर्थन मूल्य से नीचे लाने का है ताकि उसे इसकी अधिक से अधिक खरीद में सफलता मिल सके।
राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में समर्थन मूल्य से काफी ऊंचे दाम पर गेहूं खरीदने का वायदा किया गया गया है। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल नियत हुआ है। अगले वर्ष की दूसरी छमाही में ही गेहूं की सरकारी नीति में कुछ बदलाव हो सकता है।