iGrain India - रंगून । वर्ल्ड बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि म्यांमार में सशस्त्र विडोह, तख्ता पलट एवं आंतरिक विवाद की बढ़ती घटनाओं से अर्थव्यवस्था स्थिर या कमजोर पड़ती जा रही है। डॉलर का अभाव होने से वहां आयात में कठिनाई हो रही है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर में चालू वित्त वर्ष के दौरान भारी गिरावट आने की संभावना है।
2022-23 के वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 4 प्रतिशत रही थी जो 2023-24 के वर्तमान वित्त वर्ष (अप्रैल-मार्च) में घटकर 1 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है। रिपोर्ट के अनुसार म्यांमार में अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट के संकेत मिल रहे हैं जबकि भविष्य के प्रति अनिश्चितता बढ़ती जा रही है।
उल्लेखनीय है कि म्यांमार में चावल, दलहन एवं मक्का का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है और वह भारी मात्रा में इसका निर्यात भी करता है। चावल का निर्यात चीन सहित कुछ अन्य देशों को होता है जबकि दलहनों का निर्यात सबसे ज्यादा भारत को किया जाता है।
मक्का का निर्यात चीन एवं थाईलैंड जैसे देशों में हो रहा है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य महंगाई बढ़ने से म्यांमार के गरीब लोगों की कठिनाई काफी बढ़ गई है और वहां खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती जटिल दिख रही है।
म्यांमार की सैनिक सरकार एवं विद्रोही गुटों के बीच सशस्त्र संघर्ष अक्टूबर से ही जारी है जिससे करीब 5 लाख लोगो विस्थापित हो चुके हैं। ये विद्रोही समूह थाईलैंड और भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों से अपनी गतिविधियां चला रहे हैं।
ध्यान देने की बात है कि भारत और थाईलैंड म्यांमार के दो महत्वपूर्ण व्यापारिक साझीदार हैं लेकिन वहां सीमापार कारोबार में बाधा पड़ने लगी है। समुद्री मार्ग अभी पूरी तरह खुला हुआ और सुरक्षित है।
भारत में म्यांमार से मुख्यत: उड़द एवं तुवर का आयात होता है जबकि थाईलैंड में मक्का मंगाया जाता है। चीन में म्यांमार से चावल एवं मूंग का आयात किया जाता है। आर्थिक स्थिति कमजोर रहने तथा डॉलर का अभाव होने से म्यांमार को विदेशों से अनेक आवश्यक सामानों तथा खाद्य उत्पादों के आयात में कठिनाई हो रही है जिसमें गेहूं भी शामिल है।