iGrain India - नई दिल्ली । आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि खाद्य उत्पादों की कीमतों में आई तेजी के कारण नवम्बर 2023 में महंगाई दर बढ़कर 5.55 प्रतिशत पर पहुंच गई जो गत तीन माह में सबसे ऊंची रही।
उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई की दर नवम्बर में उछलकर 8.7 प्रतिशत पर पहुंच गई जो अक्टूबर की महंगाई दर 6.61 प्रतिशत एवं नवम्बर 2022 के 4.67 प्रतिशत से काफी ऊंची रही। इसके तहत नवम्बर 2023 के दौरान महंगाई दर अनाज में 10.27 प्रतिशत, दलहनों में 20.23 प्रतिशत एवं मसालों में 21.55 प्रतिशत दर्ज की गई।
हालांकि सरकार बढ़ती खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अनेक कदम उठा रही है मगर इसका कोई खास सार्थक परिणाम सामने नहीं आ रहा है। इसका प्रमुख कारण मांग एवं आपूर्ति के बीच बढ़ता अंतर माना जा रहा है।
हाल के दिनों में सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की साप्ताहिक ई-नीलामी के लिए गेहूं की बिक्री मात्रा 3 लाख टन से बढ़ाकर 4 लाख टन कर दिया। दलहनों का भाव घटाने के लिए 31 मार्च 2024 तक पीली मटर के आयात को सभी शुल्कों एवं नियंत्रणों से मुक्त कर दिया।
चीनी के उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए एथनॉल निर्माण में गन्ना जूस एवं शुगर सीरप के इस्तेमाल पर रोक लगा दी और प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। इसी तरह गेहूं की भंडारण सीमा के तहत स्टॉक धारण की मात्रा में 50 प्रतिशत की कटौती कर दी गई ताकि बाजार में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ सके।
सरकारी एजेंसियों द्वारा साबुत चना, चना दाल एवं गेहूं के आटे की बिक्री की जा रही है। सब्जियों में महंगाई दर अक्टूबर में केवल 2.7 प्रतिशत रही थी मगर नवम्बर में उछलकर 17.7 प्रतिशत पर पहुंच गई।
दरअसल महंगाई के मोर्चे पर सबसे प्रमुख जोखिम खाद्य उत्पादों की कीमतों में आ रही तेजी से सम्बन्धित है और तमाम सरकारी प्रयासों तथा खरीफ कालीन फसलों की आवक के बावजूद अनाज-दाल- मसालों के दाम में अपेक्षित नरमी नहीं आ रही है।
रबी कालीन फसलों की बिजाई संतोषजनक नहीं हो रही है जबकि अल नीनो का खतरा भी बना हुआ है। खाद्य महंगाई पर लगाम कसने का सरकारी प्रयास अब तक सफल नहीं हो पाया है। नैफेड ने दक्षिण भारत में कोपरा बेचना शुरू कर दिया है जिससे उत्पादकों में नाराजगी है।