iGrain India - कोरापुट । बंगाल की खाड़ी से उत्पन्न समुद्री चक्रवाती तूफान- मिचौंग से आंध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु के साथ-साथ उड़ीसा के कुछ जिलों में भी फसलों को नुकसान हुआ लेकिन राज्य सरकार द्वारा जिस ढंग से इसका सर्वेक्षण करवाया उससे किसान खुश नहीं हैं।
कोरापुट संभाग के किसानों ने कृषि एवं राजस्व विभाग द्वारा संयुक्त रूप से गए सर्वेक्षण पर गहरा असंतोष व्यक्त करते हुए कहा है कि फसलों को काफी नुकसान हुआ है जबकि सरकारी में इसे सीमित दिखाया जा रहा है। इसके अलावा यह सर्वेक्षण सभी प्रभावित इलाकों में नहीं किया गया।
किसान संगठनों के अनुसार मिचौंग तूफान के कारण उड़ीसा के कई जिलों में लगातार तीन दिनों तक मूसलाधार बारिश हुई जिससे जेपोर, कोड्याद, कुंदरा, बोरी गुम्मा, नंदापुर, पोटांगी तथा लामातापुट जैसे क्षेत्रों में धान की पकी हुई फसल को भारी नुकसान हुआ।
फसल की क्षति तो बहुत विशाल क्षेत्रफल में हुई लेकिन जिला प्रशासन के समक्ष जो संयुक्त सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की गई उसमें कहा गया कि केवल 187 हेक्टेयर में धान की फसल को नुकसान हुआ है।
एक किसान नेता का कहना है की जिला प्रशासन को नए सिरे से निष्पक्ष सर्वेक्षण करवाना चाहिए क्योंकि अनेक किसानों के खेतों तक संयुक्त सर्वेक्षण टीम पहुंची ही नहीं। बेमौसमी मूसलाधार वर्षा एवं तेज हवा के प्रकोप से न केवल धान के दाने की क्वालिटी खराब हो गई और उसमें नमी का अंश जरूरत से ज्यादा हो गया बल्कि दाने बदरंग भी हो गए। इस क्षेत्र में 30 प्रतिशत से अधिक धान की फसल क्षतिग्रस्त हुई है लेकिन सर्वेक्षण रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया गया है।
फसल को हुए नुकसान एवं प्रभावित क्षेत्रों की सूची का पुनः मूल्यांकन होना चाहिए ताकि सभी प्रभावित किसानों को समुचित मुआवजा मिल सके। सरकार को हवा-हवाई बातों पर ध्यान न देकर वास्तविक सच्चाई का पता लगाना चाहिए। सर्वेक्षण टीम ने कुछ जगहों पर जाकर क्षति का अनुमान लगा लिया और अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी जबकि इसे सभी प्रभावित इलाकों का सर्वेक्षण करना चाहिए था।