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कोल्हापुर संभाग में 46.06 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन

प्रकाशित 13/12/2023, 09:44 pm
कोल्हापुर संभाग में 46.06 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन

iGrain India - कोल्हापुर । महाराष्ट्र के सभी क्षेत्रों में गन्ना की क्रशिंग जारी है और चीनी का उत्पादन हो रहा है। लेकिन मिलों को गन्ना की कम आपूर्ति होने तथा गन्ना से चीनी की औसत रिकवरी दर कमजोर रहने से चीनी का उत्पादन गत वर्ष से पीछे चल रहा है।

महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान 11 दिसम्बर 2023 तक कोल्हापुर संभाग में कुल 35 चीनी मिलों में गन्ना की क्रशिंग (पेराई) आरंभ हुई जिसमें सहकारी क्षेत्र की 23 एवं प्राइवेट क्षेत्र की 12 इकाइयां शामिल हैं।

इन मिलों में संयुक्त रूप से 49.50 लाख टन गन्ना की क्रशिंग हुई जिससे 46.06 लाख टन चीनी का निर्माण हुआ। इस बार कोल्हापुर संभाग में गन्ना से चीनी की औसत रिकवरी दर 9.31 प्रतिशत दर्ज की गई।

दिलचस्प तथ्य यह है कि महाराष्ट्र में चीनी की औसत रिकवरी दर इस बार सिर्फ 8.28 प्रतिशत देखी जा रही है। कोल्हापुर संभाग में यह रिकवरी दर राज्य के अन्य संभागों से ऊंची है। 

उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक देश के सबसे प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य- महाराष्ट्र में इस बार सोलापुर संभाग में सर्वाधिक 45 चीनी मिलों में अब तक गन्ना की क्रशिंग आरंभ हो चुकी है और वहां 11 दिसम्बर तक 57.87 लाख टन गन्ना की पेराई हो चुकी थी।

लेकिन महज 7.61 प्रतिशत की औसत रिकवरी दर के कारण चीनी का कुल उत्पादन 44.04 लाख क्विंटल तक ही पहुंच सका। वस्तुत: महाराष्ट्र में इस मानसून सीजन के दौरान बारिश का अभाव रहने से गन्ना की फसल का समुचित विकास नहीं हो पाया और उसमें सुक्रोज का अंश घट गया। 

समूचे महाराष्ट्र में चालू सीजन के दौरान अब तक कुल 186 चीनी मिलों में गन्ना की क्रशिंग आरंभ हो चुकी है। इन इकाइयों द्वारा 11 दिसंबर 2023 तक 253.44 लाख टन गन्ना की पेराई करके 209.34 लाख क्विंटल चीनी का निर्माण किया गया।

पिछले साल की समान अवधि में वहां 194 इकाइयों में गन्ना की क्रशिंग शुरू हो गई थी जहां 330.58 लाख टन गन्ना की पेराई से 297.79 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ था।

महाराष्ट्र में चीनी का कुल उत्पादन 2022-23 सीजन के 105.37 लाख टन से घटकर 2023-24 के वर्तमान सीजन में 85 लाख टन पर सिमट जाने का अनुमान लगाया गया था लेकिन सरकार द्वारा एथनॉल निर्माण में गन्ना जूस एवं शुगर सीरप के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाये जाने से चीनी का उत्पादन कुछ बढ़ सकता है।

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