iGrain India - मुम्बई । हालांकि देश में कपास की फसल पर गुलाबी इल्ली (पिंक बॉलवर्म) का प्रकोप अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है लेकिन इसके फैलाव या विस्तार में भारी गिरावट जरूर देखी जा रही है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कपास की फसल पर पिंक बॉलवर्म कीट के प्रकोप का दायरा 2017-18 के सीजन में 30.62 प्रतिशत था जो 2022-23 तक आते-आते घटकर 10.80 प्रतिशत रह गया। गुलाबी इल्ली की वजह से अक्सर रूई की उपज दर एवं क्वालिटी में गिरावट आ जाती है।
पिंक बॉलवर्म कीट का प्रकोप घटने से कपास के दाम में भी नरमी देखी जा रही है। पिछले दिन रूई का वायदा मूल्य 0.18 प्रतिशत की गिरावट के साथ 56660 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) पर आ गया। वैसे देश के सभी उत्पादक क्षेत्रों- उत्तरी मध्यवर्ती एवं दक्षिणी भाग में कपास की फसल पर कीट का प्रकोप बना हुआ है लेकिन कहीं इसकी तीव्रता कम तो कहीं ज्यादा है।
प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक अनुबंधों के सापेक्ष डिलीवरी के लिए उपलब्ध प्रमाणित रूई का स्टॉक 1 दिसम्बर के 87,770 गांठ से घटकर 5 दिसम्बर को 6325 गांठ पर आ गया।
समीक्षकों का कहना है कि स्टॉक में इस भारी गिरावट से बाजार पर असर पड़ सकता है और कीमतों में उतार-चढ़ाव का माहौल बनने के आसार हैं। वैश्विक स्तर पर लगातार दूसरे साल खपत की तुलना में रूई का उत्पादन बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है।
2022-23 की तुलना में 2023-24 सीजन के दौरान रूई का वैश्विक उत्पादन 3.25 प्रतिशत बढ़कर 254 लाख टन पर पहुंचने की संभावना है जबकि इसकी कुल वैश्विक खपत कुछ घटकर 234 लाख टन पर सिमट जाने का अनुमान है। नवम्बर के अंतिम सप्ताह में रूई के वैश्विक अनुबंधों की संख्या घटकर पिछले 5 सप्तहों में सबसे कम रह गई थी।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने हरियाणा में फसल पर पिंक बॉलवर्म कीट के गंभीर प्रकोप को ध्यान में रखते हुए 2023-24 सीजन के लिए कपास का घरेलू उत्पादन अनुमान घटाकर अब 294 लाख गांठ निर्धारित किया है।
इसी तरह अपर्याप्त वर्षा एवं सूखे के कारण फसल को हुए भारी नुकसान से उत्तरी महराष्ट्र में कपास का उत्पादन 25 प्रतिशत घटने का अनुमान लगाया जा रहा है।