iGrain India - नई दिल्ली । खाद्य महंगाई की दर नवम्बर 2023 तक के पिछले लगातार पांच महीनों से 6 प्रतिशत की सीमा से ऊपर ही बरकरार रहा क्योंकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के बास्केट में शामिल प्रमुख उत्पादों की कीमतों में भारी अस्थिरता देखी गई।
विश्लेषकों के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि नवम्बर में खाद्य महंगाई बढ़कर अपने शीर्ष स्तर (83 प्रतिशत) पर पहुंच गई। आगामी महीनों के दौरान इसमें गिरावट आ सकती है मगर इसकी गति धीमी रहेगी। एकाएक खाद्य महंगाई में भारी गिरावट आना मुश्किल लगता है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई की दर अक्टूबर के 4.87 प्रतिशत से बढ़कर नवम्बर में 5.55 प्रतिशत पर पहुंच गई जो पिछले तीन माह में सबसे ऊंची रही।
इसके तहत प्याज के दाम में 87 प्रतिशत का जोरदार इजाफा हुआ। नवम्बर माह के दौरान खाद्य महंगाई की दूर अक्टूबर के 6.61 प्रतिशत से 209 आधार बिंदु बढ़ गई।
सरकार ने त्वरित कदम उठाते हुए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया जिससे इसके खुदरा मूल्य में नरमी आने की संभावना है।
नवम्बर माह में दर्ज महंगाई दर में क्रमवार बढ़ोत्तरी पिछले 23 महीनों में दूसरी सबसे बड़ी रही। लेकिन यह जुलाई में दर्ज 696 आधार बिंदुओं की जबरदस्त बढ़ोत्तरी की तुलना में काफी नीचे रही।
एक अग्रणी अर्थ शास्त्री का कहना है कि नवम्बर के बाद खाद्य महंगाई में गिरावट तो आ सकती है मगर प्रतिकूल मौसम से खरीफ फसलों के नुकसान होने तथा रबी फसलों का क्षेत्रफल पीछे रहने से खाद्य महंगाई में एक साथ जोरदार गिरावट नहीं आएगी।
नवम्बर 2023 के दौरान दाल-दलहन, मसालों एवं फलों तथा सब्जियों में महंगाई दर दोहरे अंकों में रही। सरकार दलहनों का दाम घटाने का भरसक प्रयास कर रही है।
अगले महीने जब तुवर के नए घरेलू माल की आवक बढ़ेगी तब कीमतों पर कुछ दबाव पड़ सकता है। लेकिन यह देखना आवश्यक होगा कि किसान अपने नए स्टॉक की बिक्री में कितनी दिलचस्पी दिखाते हैं।
मसालों में जीरा का भाव तो नीचे आया है क्योंकि गुजरात एवं राजस्थान जैसे शीर्ष उत्पादक प्रांतों में इसके बिजाई क्षेत्र में भारी हुई है और घरेलू तथा निर्यात मांग भी कमजोर चल रही है लेकिन अन्य मसालों का दाम कमोबेश मजबूत बना हुआ है।
इसी तरह गेहूं, चावल एवं चीनी के दाम में भी अपेक्षित गिरावट नहीं आ रही है। दिसम्बर में आधा महीना गुजरने के बावजूद अधिकांश खाद्य उत्पादों का मूल्य ऊंचे स्तर पर ही बरकरार है।