iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र एवं राज्य सरकारों के अधिकारी एवं उनकी एजेंसियों द्वारा गेहूं के व्यापारियों- प्रोसेसर्स के ठिकानों पर नियमित रूप से औचक निरीक्षण किया जा रहा है।
व्यापारिक परिसरों एवं फैक्टरियों में 5-6 राउंड का चक्कर लगाए जाने से व्यापारी एवं मिलर्स काफी परेशान हैं और इसे 'इन्स्पेक्टर राज' की वापसी मान रहे हैं।
दरअसल केन्द्र सरकार ने ही इस तरह का आदेश दे रखा है क्योंकि उसे संदेह है कि कुछ लोगों के पास स्वीकृत सीमा से अधिक मात्रा में गेहूं का स्टॉक मौजूद है।
सरकारी अधिकारी बिना किसी कारण के वहां पहुंच जाते हैं जिससे व्यापारी एवं मिलर्स काफी चिंतित हैं। समझा जाता है कि उसके खिलाफ सम्बन्धित उच्च अधिकारियों के पास शिकायत भी की गई है।
अधिकारियों का कहना है कि उसे किसी भी समय किसी व्यापारी या मिलर्स के परिसरों की चेकिंग करना का अधिकार मिला हुआ है इसलिए वे बार-बार वहां दौरा कर रहे हैं।
इससे परेशान फ्लोर मिलर्स चाहते हैं कि सरकार पहले कोई इनपुट प्राप्त करे और उसके आधार पर निरीक्षण करने के लिए अधिकारियों को भेजे।
स्टॉक सीमा आदेश लागू करना गलत नहीं है लेकिन जो व्यापारी एवं मिलर्स इसका सही ढंग से पालन कर रहे हैं उसके गोदामों एवं मिलों में किसी ठोस आधार के बगैर अधिकारियों का बार-बार आना कठिनाई पैदा कर रहा है।
सरकार को इस पर अंकुश लगाना चाहिए। यह व्यापारियों-मिलर्स का मानसिक उत्पीड़न है और इससे कारोबार प्रभावित हो रहा है। उल्लेखनीय है कि खुले बाजार में गेहूं की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से पहले सरकार ने इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न पर भंडारण सीमा लागू की थी और अब उसकी मात्रा में 50 प्रतिशत की कटौती कर दी है।
समझा जाता है कि फरवरी-मार्च तक सरकार गेहूं स्टॉक सीमा के नियमों में कुछ राहत प्रदान कर सकती है क्योंकि तब तक इसकी नई फसल की छिटपुट आवक शुरू हो जाएगी।
सरकार ने इस बार 1 अप्रैल की नियत तिथि से काफी पहले ही गेहूं की खरीद आरंभ करने का प्लान बनाया है। ज्ञात हो कि 8 दिसम्बर को गेहूं की स्टॉक धारिता की मात्रा में कटौती की घोषणा की गई थी। इसके तहत स्टॉकिस्टों / थोक विक्रेताओं, बिग चेन रिटेलर्स एवं खुदरा व्यापारियों के साथ-साथ प्रोसेसर्स के लिए भी गेहूं की स्टॉक सीमा आधी घटा दी गई।