iGrain India - बैंकॉक । चावल का वैश्विक बाजार भाव उछलकर पुनः 15 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है क्योंकि एक तो एशिया एवं अफ्रीका के अनेक देशों में इसकी मांग बढ़ रही है और दूसरे, प्रमुख निर्यातक देशों में अल नीनो के प्रकोप से उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है जिससे चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल होती जा रही है। चावल करोड़ों लोगों का प्रमुख खाद्य आहार है।
थाई चावल निर्यातक संघ के अनुसार थाईलैंड के 5 प्रतिशत टूटे सफेद चावल का भाव उछलकर 20 दिसम्बर को 650 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया जो गत सप्ताह से 2.5 प्रतिशत ज्यादा तथा अक्टूबर 2008 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर था।
दरअसल भारत सरकार द्वारा जुलाई में कच्चे (सफेद) चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने तथा अगस्त में सेला चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगाने की घोषणा करने के बाद वैश्विक बाजार में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की कीमतों में भारी तेजी का दौर शुरू हो गया।
इसके अलावा थाईलैंड में अल नीनो के असर से चावल का उत्पादन घटने की आशंका बढ़ गई। हालांकि सितम्बर-अक्टूबर के दौरान चावल का वैश्विक बाजार भाव सीमित उतार-चढ़ाव के साथ एक निश्चित सीमा में लगभग स्थिर बना रहा लेकिन नवम्बर में तेजी से ऊपर चढ़ गया और अब दिसम्बर में 15 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
थाईलैंड की भांति वियतनाम में भी चावल के दाम में जोरदार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है जिससे फिलीपींस, इंडोनेशिया एवं चीन के साथ-साथ अफ्रीका के अनेक देशों में खाद्य महंगाई बढ़ने की संभावना है।
भारत में निर्यात नियंत्रण, अच्छे उत्पादन एवं पर्याप्त सरकारी स्टॉक के बावजूद चावल का दाम 12 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ रहा है।
अब खाद्य मंत्रालय ने राइस मिलर्स को चावल के खुदरा मूल्य में कटौती करने का निर्देश दिया है जिससे इसकी कीमत कुछ नीचे आने की संभावना है।
इंडोनेशिया ने अगले वर्ष के अंत तक थाईलैंड से 20 लाख टन चावल मंगाने का प्लान बनाया है जबकि थाईलैंड में 2023-24 सीजन के दौरान धान का उत्पादन 6 प्रतिशत घटने का अनुमान है।
इससे वहां चावल का भाव आगे भी ऊंचा एवं तेज रह सकता है। समीक्षकों का कहना है कि जब तक भारत से कच्चे चावल का निर्यात नहीं खुलता है तब तक वैश्विक बाजार मूल्य ऊंचा ही रहेगा।