iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार घरेलू प्रभाग में खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। इन्हीं प्रयासों की श्रृंखला की नवीनतम कड़ी के रूप में उसने सीमा शुल्क की वर्तमान दर को कम रखते हुए खाद्य तेलों एवं मसूर के आयात की समय सीमा को एक साल के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि हाल के महीनों में इन दोनों के दाम में नरमी आई है और सरकार नहीं चाहती है कि दोबारा इसका भाव ज्यादा तेज हो।
केन्द्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी करके खाद्य तेलों पर मौजूदा आयात शुल्क की अवधि को 31 मार्च 2024 से बढ़ाकर अब 31 मार्च 2025 नियत कर दिया है। खाद्य तेलों का नियंत्रण मुक्त आयात पूर्ववत जारी रहेगा जबकि आयात शुल्क में कोई बदलाव नहीं होगा।
आईटीसी (NS:ITC) एच एस कोड 1507 1000 के तहत क्रूड सोयाबीन तेल पर 5 प्रतिशत, एचएस कोड 1512 1110 के तहत क्रूड सूरजमुखी तेल पर भी 5 प्रतिशत तथा एच एस कोड 1511 1000 के तहत क्रूड पाम तेल पर 7.5 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू है।
यदि बीच में किसी नई अधिसूचना के जरिए कोई बदलाव नहीं किया गया तो आयात शुल्क की ये दरें 31 मार्च 2023 तक बरकरार रहेंगी।
उल्लेखनीय है कि मसूर के आयात पर फिलहाल कोई सीमा शुल्क लागू नहीं है। केन्द्र सरकार पहले ही 31 मार्च 2024 तक मसूर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दे चुकी है जबकि उसने इसकी समयावधि को एक साल और बढ़ाकर 31 मार्च 2025 नियत कर दिया है।
इसका मतलब यह है कि एच एस कोड 07134000 के अंतर्गत आने वाली मसर पर 31 मार्च 2025 तक कोई सीमा शुल्क नहीं लगेगा। भारत में मुख्यत: कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया से मसूर का आयात होता है।
मसूर रबी सीजन की एक महत्वपूर्ण दलहन फसल है जिसकी बिजाई अभी चल रही है। 2023-24 सीजन के लिए इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 6425 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जो 2022-23 सीजन के लिए नियत समर्थन मूल्य 6000 रुपए प्रति क्विंटल से 425 रुपए ज्यादा है। मसूर का भाव फिलहाल समर्थन मूल्य के आसपास ही चल रहा है।