iGrain India - राजकोट । अक्टूबर माह में 65,000 रुपए प्रति क्विंटल की शीर्ष ऊंचाई पर पहुंचने के बाद जीरा का भाव नियमित रूप से घटकर नीचे आने लगा है और वर्तमान समय में यह गिरकर 37,000 रुपए प्रति क्विंटल के करीब आ गया है।
आगामी महीनों के दौरान इसके दाम में कुछ और नरमी आने की संभावना व्यक्त की जा रही है जिससे यह 30,000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास आकर अटक सकता है।
जीरा के सबसे प्रमुख व्यापारिक केन्द्र ऊंझा (गुजरात) की क्रशिंग उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के चेयरमैन के अनुसार लगभग 90 प्रतिशत माल की आवक इस मंडी में जुलाई 2023 से काफी पहले हो चुकी थी जिससे अक्टूबर तक आते-आते इसका दाम उछलकर 65,000 रुपए प्रति क्विंटल के सर्वकालीन सर्वच्च स्तर पर पहुंच गया।
इसके बाद चीन ने भारत को करीब 600-700 कंटेनरों में लगभग 2.50-3.00 लाख बोरी (55 किलो की प्रत्येक बोरी) जीरा का निर्यात किया।
चीन में लगभग 30 हजार टन जीरा का उत्पादन हुआ था। वहां से भारत में भारी मात्रा में आयात होने के कारण जीरा के दाम पर दबाव बढ़ने लगा। चूंकि भारत में जीरा का भाव रिकॉर्ड स्तर पर चल रहा था इसलिए चीन ने इसका भरपूर फायदा उठाया।
लेकिन घरेलू बाजार भाव काफी ऊंचा होने से भारतीय किसानों को आकर्षक आमदनी प्राप्त हुई और जीरा की खेती में इस बार उसने जोरदार उत्साह दिखाया।
इसके फलस्वरूप गुजरात और राजस्थान में इस महत्वपूर्ण मसाले की शानदार बिजाई हुई है। पिछले साल राष्ट्रीय स्तर पर जीरा का उत्पादन क्षेत्र 7 लाख हेक्टेयर के करीब रहा था जो चालू वर्ष के दौरान उछलकर 12 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंच गया है।
इसके फलस्वरूप इन दोनों प्रांतों में जीरा का संयुक्त उत्पादन 2023 के 50-55 लाख बोरी से बढ़कर 90 लाख बोरी के करीब पहुंचने की उम्मीद है।
नई फसल की छिटपुट आवक फरवरी 2024 में शुरू हो जाएगी जबकि मार्च में जोरदार आपूर्ति होने लगेगी। ज्ञात हो कि भारत दुनिया में जीरा का सबसे प्रमुख उत्पादक, उपभोक्ता एवं निर्यातक देश है। गुजरात और राजस्थान इसके दो सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त हैं।
गुजरात की ऊंझा मंडी को विश्व में जीरा का सबसे प्रमुख व्यापारिक केन्द्र माना जाता है। चूंकि किसानों को इस वर्ष ऊंचे दाम का स्वाद मिल चुका है इसलिए अगले साल वे नीचे मूल्य पर अपना उत्पाद बेचना पसंद नहीं करेंगे लेकिन विशाल उत्पादन के कारण ज्यादा समय तक वे माल का स्टॉक भी नहीं रोक पाएंगे।