iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय गैर बासमती सेला चावल का निर्यात ऑफर मूल्य तेज होने लगा है क्योंकि एक तो इसकी वैश्विक आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल तथा मांग मजबूत है और दूसरे, थाईलैंड तथा वियतनाम में सफेद चावल का दाम उछलकर पिछले 15 साल के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है।
इससे आयातक देशों में भारतीय सेला चावल की मांग तेजी से बढ़ने लगी है क्योंकि थोड़ी-बहुत तेजी के बावजूद इसका दाम थाईलैंड वियतनाम की तुलना में बहुत नीचे है।
वियतनाम के 5 प्रतिशत टूटे चावल का निर्यात ऑफर मूल्य 21 दिसम्बर को बढ़कर 660-665 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया जो जुलाई 2008 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर तथा गत सप्ताह के प्रचलित मूल्य 655-660 डॉलर प्रति टन से 5 डॉलर ज्यादा है।
व्यापारिक सूत्रों के अनुसार आपूर्ति की स्थिति जटिल होने के कारण चावल का भाव बढ़ रहा है। आरंभिक शिपिंग आंकड़ों से पता चलता है कि वियतनाम के होची मिन्ह सिटी बंदरगाह पर 1 से 20 दिसम्बर के दौरान करीब 1.63 लाख टन चावल की लोडिंग विभिन्न जहाजों पर हुई जिसका अधिकांश भाग इंडोनेशिया, फिलीपींस एवं क्यूबा को भेजा जाना है।
इधर शीर्ष निर्यातक देश- भारत में 5 प्रतिशत टूटे सेला चावल का निर्यात ऑफर मूल्य पिछले सप्ताह के 499-506 डॉलर प्रति टन से बढ़कर चालू सप्ताह में 505-512 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया जो पिछले दो माह का सबसे ऊंचा स्तर है।
कोलकाता के निर्यातक का कहना है कि भारतीय चावल तथा अन्य निर्यातक देशों के चावल की कीमतों में बहुत बड़ा अंतर आ गया है इसलिए विदेशी खरीदार कुछ ऊंचे दाम पर भी भारत से चावल खरीदने को तैयार हो रहे हैं।
ज्ञात हो कि भारत से सफेद (कच्चे) और गैर बासमती चावल के निर्यात पर जुलाई 2023 से ही प्रतिबंध लगा हुआ है।