iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा टुकड़ी चावल, सफेद गैर बासमती चावल, गेहूं, उत्पाद एवं चीनी आदि के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने से कृषि उत्पादों के शिपमेंट की मात्रा एवं उससे प्राप्त होने वाली आमदनी में भारी गिरावट आने की आशंका है।
मोटे अनुमान के अनुसार कुल निर्यात आमदनी में 43,000 करोड़ रुपए तक की गिरावट आ सकती है। लाल सागर के मार्ग समुद्री डाकुओं (लुटेरों) की बढ़ती हरकतों से भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में चावल, गेहूं एवं चीनी का दूसरा सबसे प्रमुख उत्पादक देश है जबकि चावल के निर्यात में सबसे आगे है।
सरकार का तर्क है कि घरेलू बाजार में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के लिए चावल, चीनी एवं गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक हो गया था।
हालांकि निर्यात प्रतिबंधों के बावजूद इन उत्पादों के बाजार भाव में ज्यादा नरमी नहीं आई तथा सरकार को कुछ सख्त कदमों का सहारा लेना पड़ा मगर निर्यात प्रतिबंध से आमदनी में भारी गिरावट अवश्य आ रही है।
व्यापार विश्लेषकों के अमुतबिक यदि लाल सागर मार्ग पर हुती लुटेरों का हमला जारी रहा तो भारत सरकार को बासमती चावल के निर्यात के लिए अफ्रीका में वैकल्पिक मार्ग की तलाश करनी पड़ सकती है लेकिन इस मार्ग से शिपमेंट खर्च में 15-20 प्रतिशत तक का इजाफा हो जाएगा।
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार लाल सागर समुद्री मार्ग पर यमन के हूवी समूह के हमले से वैश्विक व्यापार तथा भारतीय बासमती चावल का निर्यात प्रभावित हो सकता है।
वैश्विक चुनौतियों के कारण निर्यात मोर्चे पर भारत को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। कुछ महत्वपूर्ण खाद्य उत्पादों के निर्यात पर रोक लगाई गई है मगर अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात में होने वाली वृद्धि से इसकी भरपाई हो सकती है।
पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत से 53 अरब डॉलर मूल्य के कृषि उत्पादों का निर्यात हुआ था और चालू वित्त वर्ष में भी निर्यात आय इसके आसपास ही रहने की उम्मीद है।