iGrain India - मुम्बई । उद्योग-व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि बेशक पिछले साल के मुकाबले चालू वर्ष के दौरान जीरा के बिजाई क्षेत्र में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है और यह 7 लाख हेक्टेयर से उछलकर 12 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंच गया है जिससे आमतौर पर इसके उत्पादन में शानदार बढ़ोत्तरी की उम्मीद की जा सकती है लेकिन वास्तविक उत्पादन जनवरी-मार्च की तिमाही के दौरान मौसम की हालत में होने वाले परिवर्तन पर निर्भर करेगा।
आमतौर पर फरवरी के दूसरे पखवाड़े या अंतिम सप्ताह से जीरा की नई फसल की कटाई-तैयारी आरंभ हो जाती है। अभी तक मौसम की स्थिति लगभग सामान्य है लेकिन जिस तरह मार्च-अप्रैल 2023 में अचानक तेज हवा के साथ जोरदार बेमौसमी वर्षा के प्रकोप से जीरे की फसल को काफी नुकसान हुआ इसे देखते हुए आशंका पैदा होना स्वाभाविक ही है।
गुजरात और राजस्थान जीरा के दो सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त हैं जहां संयुक्त रूप से 99 प्रतिशत जीरे का उत्पादन होता है।
इसके बावजूद यह मानते में दर्ज नहीं है कि वर्ष 2023 की तुलना में 2024 के दौरान जीरा का घरेलू उत्पादन बेहतर होगा और मार्केट में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति काफी हद तक सुगम बनी रहेगी।
कीमतों में नरमी आने पर जीरा का निर्यात प्रदर्शन सुधरेगा। वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान देश से करीब 20 लाख बोरी जीरे के निर्यात का अनुमान लगाया जा रहा है जबकि कुल उत्पादन ही 55-56 लाख बोरी का हुआ।
इस निर्यात में मार्च 2024 का शिपमेंट भी शामिल होगा जब देश में नई फसल की जोरदार आवक होगी। यह देखना आवश्यक होगा कि जिन किसानों को इस वर्ष 60000/65000 रुपए प्रति क्विंटल के रिकॉर्ड मूल्य स्तर पर अपने जीरे की बिक्री करने में सफलता मिली वे अगले साल 30,000-32,000 रुपए प्रति क्विंटल के औसत दाम पर अपने उत्पाद की बिक्री करेंगे या उसका स्टॉक अपने पास रोकने का प्रयास करेंगे।