iGrain India - नई दिल्ली । पिछले रबी सीजन में गर्म हवा की तेज लहर (हीट वेव) के प्रकोप से गेहूं की फसल को काफी नुकसान हुआ था जिसे देखते हुए चालू रबी सीजन के दौरान अधिक से अधिक किसान ऐसी किस्मों की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं जो जलवायु के अनुकूल है और प्रतिकूल मौसम को लम्बे समय तक बर्दाश्त करने में सक्षम है।
सरकार ने चालू सीजन में 60 प्रतिशत उत्पादन क्षेत्र में गेहूं की इन किस्मों की खेती का लक्ष्य रखा था। कृषि आयुक्त के अनुसार अब तक राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं का कुल उत्पादन क्षेत्र 308.60 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा है जिसके 60 प्रतिशत से अधिक भाग में जलवायु अनुकूल किस्मों की खेती हुई है।
कुछ क्षेत्रों में बिजाई की प्रक्रिया अभी जारी है। लेकिन इसका कुल रकबा पिछले साल के 314.40 लाख हेक्टेयर से कुछ कम है। इसका कारण यह है कि देश के कुछ भागों में खरीफ कालीन फसलों और खासकर धान तथा गन्ना की कटाई देर से होने के चलते गेहूं की बिजाई में विलम्ब हो गया। आमतौर पर गेहूं की बिजाई में अच्छी प्रगति देखी जा रही है।
अल नीनो मौसम चक्र का प्रकोप इस बार गेहूं की फसल को प्रभावित कर सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने जलवायु हितैषी किस्मों की खेती का दायरा बढ़ाने का प्लान बनाया है ताकि इसके उत्पादन में गिरावट आने की संभावना समाप्त हो सके।
अभी तक लक्ष्य से ज्यादा क्षेत्र में इन किस्मों के गेहूं की खेती हो चुकी है। पिछले साल कुल उत्पादन क्षेत्र के 45 प्रतिशत भाग में इन किस्मों की बिजाई हुई थी।
कृषि आयुक्त के अनुसार इन किस्मों की अच्छी बिजाई होने से गेहूं की फसल को गर्म एवं शुष्क मौसम से खतरा कम रहेगा और उसकी उपज दर भी ज्यादा प्रभावित नहीं होगी।
दरअसल मार्च-अप्रैल 2024 में भी मौसम काफी गर्म एवं शुष्क रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। पिछले दो साल से गेहूं की फसल को प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान हो रहा है।
लेकिन सरकार इस बार सतर्क है। गेहूं का घरेलू बाजार भाव ऊंचा चल रहा है जिसे नीचे लाने के लिए सरकार को अपने बफर स्टॉक का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।