iGrain India - नई दिल्ली। एक महत्वपूर्ण उद्योग संस्था-इंडिया वेजिटेबल ऑइल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (इवपा) के अध्यक्ष का कहना है कि वर्ष 2023 के दौरान खाद्य तेल उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं हुई और उपभोताओं कि रूचि, पसंद तथा हितों का ध्यान रखने पर विशेष जोर दिया गया। विभिन्न खाद्य तेलों के दाम में 35 से 40 प्रतिशत तक की भारी गिरावट दर्ज की गयी। इसका प्रमुख कारण निर्यातक देशों में सस्ते दाम पर पाम तेल एवं सूरजमुखी तेल का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध रहना है। सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में भी भारी कटौती कर दी। विदेशों से विशाल मात्रा में सस्ते खाद्य तेलों का आयात होने से घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता काफी बढ़ गयी, कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव का दौर समाप्त हो गया और उसमें विकसित रूप से नरमी आने लगी। पाम तेल एवं सूरजमुखी तेल का वैश्विक बाजार भाव नरम पड़ने से भारत को काफी राहत मिली। घरेलू खाद्य तेल बाजार में स्थिरता का माहौल बनाने में इससे सहायता मिली।
खाद्य तेलों के कमजोर बाजार भाव के कारण सरसों का थोक मंडी भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आ गया लेकिन सरकारी एजेंसियों ने सही समय पर हस्तक्षेप करके बाजार को संभालने का प्रयास किया। इन एजेंसियों (नैफेड तथा हैफेड) द्वारा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 14.15 लाख टन सरसों की खरीद की गयी। इसके अलावा ऑइल मील की घरेलू तथा निर्यात मांग काफी अच्छी रही जिससे मिलर्स को घाटा से उबरने का अवसर मिल गया। विदेशों से सोयामील के आयात की सम्भावना भी लगभग ख़त्म हो गयी और उसका घरेलू बाजार भाव उचित स्तर पर बरकरार रहा।
इवपा अध्यक्ष के अनुसार वर्तमान समय में खाद्य तेलों का वैश्विक बाजार मूल्य संतुलित बिंदु पहुंच गया है। कीमतों का स्तर नीचे होने से आयातक देशों में इसकी मांग बढ़ने की सम्भावना है। अगले 5-6 महीनों के दौरान इसकी कीमतों में धीरे-धीरे तेजी आ सकती है। जिसका असर घरेलू बाजार पर भी पड़ने कि उम्मीद है। मार्च-अप्रैल 2022 तक उसके दाम में करीब 10-15 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है। पाम तेल का विशाल स्टॉक तब तक घट जायेगा। उत्पादक एवं निर्यातक देशों में भी उत्पादन घटने या स्थिर रहने की सम्भावना है। खाद्य तेलों का दाम सुधरने पर सरसों का भाव कुछ मजबूत हो सकता है।