iGrain India - नई दिल्ली । चूंकि अरहर (तुवर) के उत्पादन में 10-12 लाख टन की कमी देखी जा रही है इसलिए सरकार प्रचलित बाजार मूल्य पर इसकी खरीद करने बफर स्टॉक बढ़ाने का प्लान बना रही है। तुवर का भाव सरकारी समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा चल रहा है।
शीर्ष व्यापारिक संस्था- इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) के चेयरमैन का कहना है कि घरेलू बाजार भाव को नीचे लाने के लिए सरकार चना दाल की भांति भारत ब्रांड नाम से तुवर दाल की बिक्री भी आरंभ कर सकती है।
भारत दाल आम उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर दालों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में सरकार का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
फिलहाल इसके तहत चना दाल की बिक्री 60 रुपए प्रति किलो की दर से की जा रही है जबकि आगे कुछ अन्य दालों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।
चेयरमैन के अनुसार घरेलू प्रभाग में अधिकांश दलहनों का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊंचा चल रहा है। इसमें तुवर एवं उड़द मुख्य रूप से शामिल है।
लेकिन अब तुवर का दाम घटकर अपने शीर्ष स्तर से 15-20 रुपए प्रति किलो तथा चना का भाव 5-6 रुपए प्रति किलो नीचे आ गया है।
मसूर की कीमत तो गिरकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे आ गई है। इपगा चेयरमैन का कहना है कि अफ्रीकी देश- मोजाम्बिक के बंदरगाहों पर 2 लाख टन से अधिक तुवर का स्टॉक अटका हुआ है और एक खास कम्पनी द्वारा इसके शिपमेंट में अड़ंगे बाजी की जा रही है।
भारत और मोजाम्बिक- दोनों देशों की सरकारों को इसकी सूचना दी जा चुकी है। अभी भारत में मुख्यत: म्यांमार से तुवर का आयात हो रहा है जहां अगले महीने से इसकी नई फसल की कटाई-तैयारी जोर पकड़ने की संभावना है।
वहां इस बार करीब 4 लाख टन तुवर का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि भारत में तुवर का उत्पादन 30 लाख टन के करीब होने की संभावना है। वैसे प्रतिकूल मौसम एवं प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप से इस बार भी तुवर की फसल को नुकसान हुआ है।