iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय जल आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि देश के 150 प्रमुख जलाशयों में पानी का स्तर लगातार 12 वें सप्ताह घटकर नीचे आ गया।
उत्तरी राज्यों में यह को भंडारण क्षमता के 60 प्रतिशत से नीचे तथा दक्षिण भारत में 40 प्रतिशत से नीचे आने की सूचना मिल रही है।
चिंता का विषय यह भी है कि दक्षिण भारत में कुल 42 प्रमुख जलाशयों में से 22 में पानी का स्तर कुल भंडारण क्षमता से 50 प्रतिशत से भी कम रह गया है।
जल आयोग की साप्ताहिक बुलेटिन के अनुसार चालू सप्ताह के दौरान 150 प्रमुख बांधों- जलाशयों में पानी का स्तर घटकर 107.07 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) रह गया जो 178.784 की बीसीएम की कुल भंडारण क्षमता का 60 प्रतिशत है।
पिछले सप्ताह यह जल स्तर 62 प्रतिशत था। आयोग के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस वर्ष जल स्तर 20 प्रतिशत बिंदु नीचे है जबकि यह 10 वर्षीय स्तर से भी 34 प्रतिशत बिंदु कम है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिणी भारत में घटता जल स्तर निश्चित रूप से गंभीर चिंता की बात है क्योंकि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं कर्नाटक जैसे राज्य फसलों की सिंचाई के लिए काफी हद तक इन बांधों- जलाशयों पर निर्भर हैं।
वहां जल स्तर में भारी गिरावट आने से धान, दलहन एवं तिलहन की फसलें प्रभावित होने की आशंका है। इसके तहत खासकर रबी कालीन धान पर ज्यादा असर पड़ सकता है आंध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु में धान की खेती प्रभावित हुई है जबकि उत्तरी कर्नाटक में भी पानी का भारी अभाव महसूस किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि चालू माह के दौरान मिचौंग नामक समुद्री चक्रवाती तूफान के कारण तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश एवं उड़ीसा जैसे राज्यों में तेज हवा के साथ भारी बारिश हुई लेकिन यह वर्षा मुख्यत: समुद्र के तटवर्ती जिलों तक ही सीमित रही जबकि अन्य भागों में मौसम काफी हद तक शुष्क बना रहा जिससे वहां फसलों को नुकसान होने की संभावना है।
विशेषज्ञों के मुताबिक नदियों के उद्गम स्थानों में अपेक्षित बारिश नहीं होने से जलाशयों में पानी का स्तर घट गया। दक्षिण भारत में जलाशयों में पानी का स्तर महज 41 प्रतिशत दर्ज किया गया।