iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार चावल के घरेलू एवं वैश्विक बाजार परिदृश्य पर गहरी नजर रखे हुए है और स्थिति के अनुरूप नीतिगत निर्णय ले रही है।
धान की सरकारी खरीद में गिरावट आने के संकेत मिल रहे हैं जबकि चावल का खुदरा बाजार भाव ऊंचा चल रहा है। सरकार ने घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से टुकड़ी चावल (ब्रोकन राइस) और गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है मगर इससे भी इसकी कीमतों पर कोई खास असर नहीं पड़ा है।
सरकार का कहना है कि चावल के वैश्विक निर्यात बाजार में भारत की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास तभी किया जा सकता है जब घरेलू प्रभाग में स्थिति अनुकूल होगी।
सफेद और गैर बासमती चावल एवं टुकड़ी चावल के निर्यात पर लगी रोक से इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का निर्यात काफी घटने की संभावना है।
हालांकि सेला चावल तथा बासमती चावल का निर्यात जारी है जिससे भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश बना रहेगा लेकिन पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इस बार चावल के कुल निर्यात में जोरदार गिरावट आना निश्चित है।
भारतीय निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से कच्चे (सफेद) चावल का वैश्विक बाजार भाव उछलकर पिछले 15 वर्षों के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है मगर भारत इसका फायदा उठाने से वंचित हो रहा है।
भारत पिछले 10-12 वर्षों से दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश बना हुआ है जबकि थाईलैंड दूसरे एवं वियतनाम तीसरे नम्बर पर है। इन दोनों देशों को चावल का निर्यात तथा आमदनी बढ़ाने का बेहतरीन अवसर मिल रहा है।
यहां तक कि म्यांमार, पाकिस्तान, अमरीका तथा कम्बोडिया जैसे देश भी भारतीय चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध से लाभांवित हो रहे हैं। दूसरी ओर चावल के अत्यन्त ऊंचे वैश्विक बाजार मूल्य से एशिया तथा अफ्रीका के प्रमुख आयातक देशों की कठिनाई बढ़ गई है।
भारत में चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति संतोषजनक बनी हुई है। सरकार भी खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत अपने स्टॉक से चावल उतार रही है जिसका आरक्षित मूल्य 2900 रुपए प्रति क्विंटल रखा गया है मगर व्यापारी स्टॉकिस्ट इसकी खरीद में विशेष दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।