iGrain India - मुम्बई । चालू वर्ष के दौरान जीरा का भाव उछलकर ऐतिहासिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा और फिर घटकर लगभग आधा रह गया। जीरा के दाम में इतना जबरदस्त उतार-चढ़ाव पहले कभी नहीं आया था।
इस उतार-चढ़ाव का प्रमुख कारण उत्पादन घटना तथा पिछला बकाया स्टॉक कम रहना माना जा रहा है। ऊंचे बाजार मूल्य के कारण जीरा के निर्यात में गिरावट आई जबकि विदेशों और खासकर चीन से आयात में भारी बढ़ोत्तरी हो गई।
लेकिन वर्ष 2024 में परिस्थिति और परिदृश्य भिन्न रहने की संभावना नहीं रहेगी। इसके साथ-साथ निर्यात प्रदर्शन भी अच्छा रहेगा।
एक अग्रणी उत्पादक प्रान्त- गुजरात में जीरा का बिजाई क्षेत्र पिछले साल से 103 प्रतिशत उछलकर इस वर्ष 5.30 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। इसी तरह राजस्थान में जीरा का क्षेत्रफल गत वर्ष के 5.76 लाख हेक्टेयर से बढ़कर चालू रबी सीजन में 6.68 लाख हेक्टेयर से निकल गया। ज्ञात हो कि देश में करीब 99 प्रतिशत जीरा का उत्पादन इन्हीं दो राज्यों में होता है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक जीरा का उत्पादन अगले साल बढ़ना निश्चित है लेकिन यह देखना आवश्यक होगा कि फरवरी-मार्च में मौसम कैसा रहता है।
जहां तक जीरा की कीमतों का सवाल है तो इसका निश्चित अनुमान लगाना फिलहाल कठिन है लेकिन मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि जीरा का भाव चालू वर्ष जितना ऊंचा नहीं उठ पाएगा।
इस बार गुजरात और राजस्थान- दोनों प्रांतों में अनेक किसानों ने धनिया के बजाए जीरा की खेती को प्राथमिकता दी है क्योंकि इसमें उन्हें बेहतर आमदनी प्राप्त होने का भरोसा है।
समीक्षकों के अनुसार एक बार यदि जीरा का दाम घटकर 30000 रुपए प्रति क्विंटल से नीचे आता है तो अपने पांच-छह महीनों तक इसमें तेजी की गुंजाईश कम रहेगी और यदि यह घटते हुए 24000/25000 रुपए प्रति क्विंटल पर आ जाए हैरानी की बात नहीं होगी।
नीचे मूल्य पर जीरा की घरेलू एवं निर्यात मांग बढ़ेगी और इसलिए अगले वर्ष की दूसरी छमाही में इसका भाव कुछ मजबूत हो सकता है।
फिलहाल वायदा बाजार में जीरा का भाव 38,000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है। जीरा के लिए यह अपवाद माना जा सकता है।