iGrain India - नई दिल्ली । लाल सागर के जलमार्ग पर माल वाहक जहाजों के खिलाफ हूती समूह के आक्रमण को देखते हुए भारत से बासमती चावल का निर्यात प्रभावित होने की आशंका है।
इससे घरेलू प्रभाग में इस प्रीमियम क्वालिटी के सुगंधित चावल का दाम 5 से 10 प्रतिशत तक नीचे गिर गया है। प्रमुख शिपिंग कंपनियों ने सामान्य स्थिति बहाल होने तक स्वेज नहर के रास्ते शिपमेंट बंद रखने का निर्णय लिया है क्योंकि ईरान समर्थित यमन के हूती समूह बार-बार वहां माल वाहक जहाजों को निशाना बना रहा है।
समझा जाता है कि भारत द्वारा हमास के खिलाफ इजरायल का समर्थन किए जाने से ईरान कुछ नाराज हो गया है और इसलिए लाल सागर क्षेत्र में भारतीय जहाजों के लिए खतरा बढ़ने लगा है।
भारत में रूस तथा यूक्रेन से सूरजमुखी तेल का आयात भी प्रभावित होने की आशंका है। व्यापार विश्लषकों के मुताबिक पिछले एक सप्ताह के दौरान सूरजमुखी तेल का वैश्विक बाजार भाव 30 डॉलर बढ़कर 940 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया है जिससे इसके घरेलू बाजार मूल्य में 3-4 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है।
निर्यातकों के मुताबिक बासमती चावल के निर्यात बाजार सुस्त पड़ गया है तथा जेद्दा, यमन, बेरुत तथा डरबन जैसे स्थानों के लिए इसका शिपिंग खर्च कई गुणा बढ़ गया है।
उदहारण स्वरुप जब तक लाल सागर क्षेत्र में संकट उत्पन्न नहीं हुआ था तब तक यमन के लिए किराया भाड़ा 850 डॉलर प्रति कंटेनर चल रहा था जो अब बढ़कर 2400 डॉलर पर पहुंच गया है।
इसी तरह जेद्दा के लिए किराया भाड़ा 300 डॉलर से उछलकर 1500 डॉलर प्रति कंटेनर और डरबन के लिए 700 डॉलर से बढ़कर 1200 डॉलर प्रति कंटेनर हो गया है।
किराया भाड़ा में हुई जबरदस्त वृद्धि के कारण विदेशी खरीदार अभी कार्गो नहीं ले रहे हैं। इससे घरेलू बाजार में बासमती चावल का दाम नरम पड़ने लगा है। यह स्थिति कुछ समय तक जारी रह सकती है।
भारत से आमतौर पर 40-45 लाख टन बासमती चावल का सालाना निर्यात होता है और खाड़ी क्षेत्र के देश इसके प्रमुख खरीदार हैं। भारत से लगभग 80 प्रतिशत बासमती चावल का निर्यात इन देशों को किया जाता है।