iGrain India - नई दिल्ली । पिछले साल की तुलना में चालू रबी सीजन के दौरान सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- राजस्थान में बिजाई करीब 1.60 लाख हेक्टेयर घटने के बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर सरसों का कुल उत्पादन क्षेत्र 93.46 लाख हेक्टेयर से करीब 2 प्रतिशत बढ़कर 95.23 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
यह 22 दिसंबर तक का आंकड़ा है। क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी का प्रमुख कारण उत्तर प्रदेश में सरसों का रकबा 4.30 लाख हेक्टेयर या 32 प्रतिशत बढ़ना माना जा रहा है।
रबी सीजन की सबसे प्रमुख तिलहन फसल सरसों की बिजाई प्रक्रिया बिलकुल अंतिम चरण में पहुंच गई है और अब यहां से मौसम अपना खेल करेगा।
उद्योग-व्यापार समीक्षकों का कहना है कि आमतौर पर प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों में मौसम की हालत फिलहाल सामान्य है लेकिन जनवरी-फरवरी के मौसम पर विशेष नजर रखनी पड़ेगी क्योंकि अगैती बिजाई वाली फसल में इस समय फूल एवं दाना लगते हैं।
फरवरी में तो यह कुछ क्षेत्रों में पककर तैयार भी हो जाती है। सामान्य फरवरी में 4-5 लाख टन नई सरसों विभिन्न मंडियों में पहुंच जाती है जबकि मुख्य फसल की आवक मार्च से मई के दौरान होती है।
यदि जनवरी-फरवरी का मौसम फसल के लिए अनुकूल रहा तो एक बार फिर सरसों का शानदार घरेलू उत्पादन हो सकता है। दिलचस्प तथ्य यह है कि 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान सरसों का थोक मंडी भाव अक्सर न्यूनतम सर्मथन मूल्य (एमएसपी) से नीचे ही रहा जिससे सरकारी एजेंसियों (नैफेड-हैफेड) को करीब 14-15 लाख टन सरसों खरीदना पड़ा
लेकिन फिर भी इसकी खेती में किसानों की दिलचस्पी बरकरार रही। इस बार सरसों की फसल पर अभी तक कीड़ों-रोगों का प्रकोप भी नहीं देखा जा रहा है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार सरसों का घरेलू उत्पादन 2019-20 के सीजन में 91.24 लाख टन हुआ था जो 2022-23 के सीजन में उछलकर 126.43 लाख टन पर पहुंच गया। 2023-24 के रबी सीजन हेतु मंत्रालय के 131.40 लाख टन सरसों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।