iGrain India - नई दिल्ली । चालू सप्ताह के दौरान जीरा कीमतों में मंदे का रुख रहा। क्योंकि उत्पादक राज्य गुजरात एवं राजस्थान में अधिक बिजाई के कारण हाजिर बाजारों में जीरा में लिवाल कम रहा। जबकि स्टॉकिस्टों की बाजार में बिकवाली बराबर बनी रही। अधिक बिजाई के पश्चात अगर मौसम ने भी फसल का साथ दिया तो इस वर्ष देश में जीरा का रिकॉर्ड उत्पादन होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं।
बिजाई
प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में इस वर्ष जीरे की बिजाई 5.44 लाख हेक्टेयर पर की गई है जबकि गत वर्ष बिजाई 2.68 लाख हेक्टेयर पर की गई थी। राजस्थान में बिजाई 6.77 लाख हेक्टेयर पर हुई है गत वर्ष बिजाई का क्षेत्रफल 5.79 लाख हेक्टेयर का रहा था। उल्लेखनीय है कि गुजरात में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता अधिक होने के कारण कुल उत्पादन में गुजरात की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत से अधिक रहती है जबकि 45 प्रतिशत का योगदान राजस्थान का रहता है।
वायदा बाजार
चालू सप्ताह के दौरान वायदा बाजार में गिरावट रही। वायदा में चालू सप्ताह के शुरू में जनवरी का भाव 37650 रुपए खुला था जोकि सप्ताह के अंत में 30900 रुपए पर बंद हुआ है। मार्च माह का जीरा 30100 रुपए खुलने के पश्चात सप्ताह अंत में 27750 रुपए पर बंद हुआ है।
हाजिर बाजार
उत्पादक केन्द्रों पर अधिक बिजाई एवं वायदा बाजार के मंदे समाचारों से उत्पादक केन्द्रों की मंडियों सहित खपत केन्द्रों पर भी चालू सप्ताह के दौरान जीरे की कीमतों में मंदा रहा। गुजरात की प्रमुख मंडी ऊंझा में जीरे का भाव सप्ताह के अंत में क्वालिटीनुसार 280/400 रुपए बोला गया जबकि सप्ताह के शुरू में भाव 350/450 रुपए खुला था। राजस्थान की जोधपुर मंडी में जीरे का भाव 340/380 रुपए से मंदे के साथ 280/330 रुपए पर बोला गया। दिल्ली बाजार में डबल दीपक का भाव 415 रुपए से घटकर सप्ताह के अंत में 360 रुपए पर आ गया। वर्तमान में गिरते भावों के कारण हाजिर व्यापार सीमित रह गया है। लिवाल नई फसल की आवक का इंतजार कर रहा है। मिली जानकारी के अनुसार गोंडल मंडी में 1 बोरी नए जीरे का श्रीगणेश हो गया है। और भाव 43551 रुपए प्रति क्विंटल बोला गया है।
तेजी की संभावना नहीं
व्यापारियों का कहना है कि हाल-फिलहाल जीरे की कीमतों में तेजी की संभावना के चलते लोकल एवं निर्यातक मांग ठप्प पड़ गई है। नए मालों की आवक बढ़ने के पश्चात व्यापार सुचारु रूप से शुरू होगा। उल्लेखनीय है कि गुजरात में नए मालों की आवक जनवरी माह में शुरू हो जाएगी। जबकि राजस्थान की मंडियों में आवक मार्च-अप्रैल माह में शुरू होगी। उल्लेखनीय है कि दिसम्बर- 2022 में ऊंझा मंडी में जीरे का क्वलिटीनुसार भाव 250/290 रुपए प्रति किलो चल रहा था जोकि अगस्त माह में बढ़कर 625/630 रुपए का रिकॉर्ड स्तर छू गया था। भाव ऊंचे होने के कारण निर्यात प्रभावित हुआ साथ ही आयातकों ने विदेशों से जीरे का आयात भी किया गया। जिस कारण से कीमतों में गिरावट का दौर शुरू हो गया और वर्तमान में भाव बढ़कर 280/400 रुपए पर आ गए हैं। सूत्रों का मानना है कि उत्पादक केन्द्रों पर नए मालों की आवक का दबाव बनने के पश्चात कीमतों में 40/50 रुपए प्रति किलो का मंदा ओर आ सकता है। सूत्रों का कहना है कि भाव नीचे आने के पश्चात जीरे की निर्यात मांग अवश्य ही बढ़ेगी।
उत्पादन अनुमान
उत्पादक केन्द्रों पर बिजाई को देखते हुए संभावना व्यक्त की जा रही है कि चालू सीजन के दौरान देश में जीरा का उत्पादन एक करोड़ बोरी (प्रत्येक बोरी 55 किलो) के आसपास होने के आसार है। बशर्ते आगामी दिनों में मौसम फसल के अनुकूल रहे। गत वर्ष देश में जीरा का उत्पादन 55/58 बोरी का रहा था।
निर्यात
चालू सीजन के दौरान कीमतों में रिकॉर्ड तेजी आने के कारण जीरे का निर्यात गत वर्ष की तुलना में कम हुआ है। मसाला बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-सितम्बर 2023 में जीरे का निर्यात 76969.88 टन का किया गया। जबकि गत वर्ष इसी समयावधि में निर्यात 109628.78 टन का हुआ था। वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) के दौरान जीरे का कुल निर्यात 186508.79 टन का हुआ था जबकि वर्ष 2021-22 में निर्यात 216970.69 टन का किया गया था।