iGrain India - नई दिल्ली । परम्परागत रूप से ईरान भारतीय बासमती चावल का प्रमुख खरीदार रहा है जबकि वह चाय, ऑयल मील एवं चीनी आदि भी खरीदता रहता है लेकिन कुछ विशेष कारणों से वहां पिछले एक साल से भारतीय उत्पादों के आयात में गिरावट देखी जा रही है।
इसका पहला कारण तो यह है कि पश्चिम एशिया के एक देश (ईरान) में भारतीय रुपए का भंडार घटता जा रहा है जिससे विनिमय प्रणाली में संकट उत्पन्न होने लगा है। इसके अलावा ईरान अब भारत के बजाए चीन से निकटता बढ़ा रहा है।
इजरायल- हमास युद्ध में भारत द्वारा इजरायल का समर्थन किए जाने से भी ईरान नाखुश बताया जा रहा है। इसे देखते हुए आने वाले समय में ईरान को निर्यात बढ़ाना भारत के लिए आसान नहीं होगा।
भारत से ईरान को नवम्बर 2022 से ही निर्यात में गिरावट का रूख देखा जा रहा है। कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान भारत से ईरान को जनवरी-अक्टूबर के 10 महीनों में कुल निर्यात घटकर 88.80 करोड़ डॉलर पर सिमट गया जो वर्ष 2022 की इसी अवधि के कुल शिपमेंट से 44 प्रतिशत कम रहा।
इसके तहत खासकर बासमती चावल के निर्यात में भारी गिरावट दर्ज की गई जबकि उच्च क्वालिटी की चाय, चीनी अन्य खाद्य उत्पादों तथा ताजे फलों आदि के निर्यात में भी कमी आई।
ईरान अब भारत के बजाए अर्जेन्टीना-ब्राजील से डीओसी मंगाने लगा है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन अवधि के दौरान ईरान को भारतीय बासमती चावल का निर्यात 42 प्रतिशत घटकर 55.30 करोड़ डॉलर पर अटक गया।
भारत से ईरान को कृषि उत्पादों के कुल निर्यात में बासमती चावल की भागीदारी 62 प्रतिशत रहती है। भारत का 20 प्रतिशत बासमती चावल ईरान खरीदता है।