iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि पिछले साल के मुकाबले चालू रबी सीजन के दौरान देश के चार ऐसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में गेहूं के बिजाई क्षेत्र में इजाफा हुआ है जहां इसकी उपज दर अपेक्षाकृत ऊंची रहती है लेकिन फिर भी बेहतर उत्पादन के प्रति उद्योग-व्यापार क्षेत्र अभी पूरी तरह आश्वस्त नहीं है।
उसका कहना है कि फरवरी-मार्च के मौसम परं नजर रखना अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि यह मौसम गेहूं की फसल के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है।
एक अग्रणी प्रतिष्ठान के सीईओ का कहना है कि उद्योग- व्यापार क्षेत्र मार्च-अप्रैल में नई फसल की कटाई-तैयारी शुरू होने तक इंतजार करना चाहेगा क्योंकि इससे पूर्व गेहूं के उत्पादन का सही अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है।
इसमें अनिश्चितता बनी रहेगी। पिछले दो वर्षों का अनुभव बताता है कि फरवरी-मार्च के मौसम गेहूं की फसल को काफी हद तक प्रभावित करता है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार चालू रबी सीजन के दौरान 29 दिसम्बर 2023 तक चार शीर्ष उत्पादक राज्यों- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा में संयुक्त रूप से गेहूं का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 239.79 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो गत वर्ष की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 237.37 लाख हेक्टेयर से 2.42 लाख हेक्टेयर या करीब 1 प्रतिशत अधिक है।
देश में 75 प्रतिशत से अधिक गेहूं का उत्पादन इन चार प्रांतो में होता है जबकि केन्द्रीय पूल में ये राज्य लगभग 93 प्रतिशत गेहूं का योगदान देते हैं।
सीईओ के अनुसार गेहूं के बिजाई क्षेत्र में 1 प्रतिशत की वृद्धि या कमी होना विशेष मायने नहीं रखता है बल्कि अगले दो महीनों का मौसम इससे बहुत अधिक महत्वपूर्ण होगा।
केन्द्र सरकार ने 2023-24 के रबी सीजन हेतु 1140 लाख टन गेहूं के घरेलू उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है जबकि 2022-23 सीजन में केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 1105.50 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान लगाया था जो 2021-22 सीजन के उत्पादन 1077.40 लाख टन से काफी ज्यादा है। लेकिन उद्योग-व्यापार क्षेत्र का मानना है कि 2022-23 के सीजन में गेहूं का कुल घरेलू उत्पादन 1050 लाख टन से भी कम हुआ।