iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए 8 दिसम्बर 2023 को पीली मटर के आयात को सीमा शुल्क एवं अन्य शर्तों से पूरी तरह मुक्त कर दिया। अब 31 मार्च 2024 तक इस दलहन का निर्बाध आयात किया जा सकेगा।
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इस निर्णय का उद्देश्य घरेलू प्रभाग में दाल-दलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाना तथा कीमतों को नियंत्रित करना है।
उड़द, तुवर एवं मसूर के शुल्क मुक्त आयात की समय-सीमा भी एक साल के लिए यानी 31 मार्च 2025 तक के लिए बढ़ाई गई है। खाद्य महंगाई बढ़ाने में दाल-दलहनों का विशेष योगदान देखा जा रहा है इसलिए सरकार इसका दाम घटाने के लिए तरह-तरह का नीतिगत निर्णय ले रही है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार सरकार को चालू रबी सीजन के दौरान चना के घरेलू उत्पादन में गिरावट आने की आशंका है इसलिए पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अवधि 31 मार्च 2024 से आगे भी बढ़ाई जा सकती है।
पीली मटर को चना का एक बेहतर विकल्प माना जाता है। इसका दाम भी चना से काफी नीचे रहता है। देश में लगभग 250-270 लाख टन के बीच दलहनों का औसत वार्षिक उत्पादन होता है जिसमें अकेले चना की भागीदारी 44 से 48 प्रतिशत के बीच रहती है।
चना के उत्पादन में गिरावट आने पर दलहनों का घरेलू बाजार भाव ऊंचा और तेज हो सकता है इसलिए सरकार मटर के सस्ते आयात को बढ़ावा दे रही है। चूंकि इसकी समयावधि छोटी है इसलिए इतने कम समय में 3-4 लाख टन से ज्यादा पीली मटर का आयात होना मुश्किल लगता है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार केन्द्र सरकार खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इसके लिए जो भी कदम उठाना आवश्यक होगा उसे उठाने से सरकार नहीं हिचकेगी।
मटर के आयात से चना की कीमतों में स्थिरता का माहौल बनाने में सहायता मिलेगी। सरकार भारत ब्रांड नाम से चावल दाल की बिक्री पहले से कर रही है जिसका दाम 60 रुपए प्रति किलो नियत किया गया है।
इंदौर स्थित संस्था- ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि पीली मटर के शुल्क आयात की अनुमति दिए जाने के बाद देसी चना का भाव 6400 रुपए प्रति क्विंटल से घटकर 5800-5900 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया था।
इसी तरह चना दाल की कीमत भी 7175 रुपए प्रति क्विंटल से गिरकर 6750 रुपए प्रति क्विंटल रह गई थी। इतना ही नहीं बल्कि हाल के दिनों में पीली मटर का दाम भी कुछ नरम पड़ा है।