iGrain India - गुलबर्गा । दोनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में नई फसल की आवक जोर पकड़ने तथा व्यापारियों-स्टॉकिस्टों एवं दाल मिलर्स द्वारा खरीदारी में सतर्कता बरतने से तुवर (अरहर) के दाम में थोड़ी नरमी आई है।
इससे केन्द्र सरकार को राहत मिलेगी जो बफर स्टॉक बढ़ाने के लिए सीधे किसानों से प्रचलित बाजार भाव पर जल्दी ही इसकी खरीद करने का प्लान बना रही है। 4 जनवरी को सरकार द्वारा तुवर की खरीद के उद्देश्य से किसानों के पंजीकरण के लिए एक ई-पोर्टल लांच किया जाने वाला है।
कर्नाटक में तुवर का मॉडल मूल्य (जिस भाव पर सर्वाधिक कारोबार होता है) पिछले एक सप्ताह के दौरान कलबुर्गी (गुलबर्गा), यद्गीर एवं बीदर तथा रायचूर जैसी प्रमुख मंडियों में 14-15 प्रतिशत तक घट गया।
इसी तरह महाराष्ट्र में लातूर एवं उदगीर सहित कुछ अन्य मंडियों में अरहर की कीमतों में 10 प्रतिशत से कुछ अधिक की गिरावट दर्ज की गई।
महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में समीक्षाधीन अवधि के दौरान तुवर का भाव 9000 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर के स्तर से 1000 रुपए घटकर अब 8000 रुपए प्रति क्विंटल से कुछ ऊपर रह गया है लेकिन फिर भी यह सरकार द्वारा 2023-24 सीजन के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 7000 रुपए प्रति क्विंटल से काफी ऊंचा है।
लातूर के एक मिलर एवं व्यापारी का कहना है कि तुवर का सीजन आरंभ हो चुका है और इसलिए कीमतों में काफी नरमी आ गई है। व्यापारी वर्ग अभी इंतजार करो और देशों की नीति अपना रहा है।
कारोबार (खरीद) में पूरी सावधानी बरती जा रही है। मंडियों में तुवर की आपूर्ति और बढ़ने की प्रतीक्षा की जा रही है। विदर्भ तथा कर्नाटक की मंडियों में अरहर के दाम में होने वाले परिवर्तन पर सबका ध्यान केन्द्रित है।
लातूर मंडी में पिछले दिन 10-12 हजार टन तुवर की आवक हुई और इसका भाव 7800 से 8500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच दर्ज किया गया। तुवर का औसत भाव 8250 रुपए प्रति क्विंटल के करीब रहा।
एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) के अनुसार अकोला में तुवर दाल का भाव सितम्बर के आरंभ में उछलकर 17,000 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया था जो 2 जनवरी को करीब 20 प्रतिशत घटकर 13,600 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया।
आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान का कहना है कि नए माल की आवक बढ़ने से बाजार में तुवर की उपलब्धता में बढ़ोत्तरी हो रही है और इसलिए कीमतों पर दबाव पड़ने लगा है। इसके अलावा म्यांमार से तुवर के आयात सौदे होने लगे हैं और वहां से भी माल आने लगेगा। वैसे तुवर का उत्पादन- इस बार भी घटने की संभावना है।