iGrain India - मुजफ्फरनगर । उत्तर प्रदेश में गन्ना की क्रशिंग का सीजन अक्टूबर में ही आरंभ हो गया या लेकिन अभी तक वहां गन्ना के 'राज्य समर्थित मूल्य' (सेप) की घोषणा नहीं होने से किसान और मिलर्स दोनों ही असमंजस में फंसे हुए हैं।
किसानों को उम्मीद है कि अप्रैल-मई में लोकसभा के लिए होने वाले आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार गन्ना के सेप में अच्छी बढ़ोत्तरी कर सकती है।
उधर चीनी मिल मालिकों को डर है की गुड़-खांडसारी निर्माण इकाइयों द्वारा ऊंचे दाम पर किसानों से गन्ना की भारी खरीद की जा सकती है जिससे चीनी मिलों को कम मात्रा में गन्ना प्राप्त होगा।
मिलर्स एवं उत्पादकों को उम्मीद थी कि गन्ना के सैप की घोषणा अक्टूबर 2023 से पहले हो जाएगी जब मिलों में इसकी क्रशिंग होने वाली थी। लेकिन अक्टूबर, नवम्बर और दिसम्बर 2023 का समय बीतने के बाद अब जनवरी 2024 का समय शुरू हो गया है मगर सरकार द्वारा गन्ना के सैप की घोषणा का कोई संकेत नहीं दिया गया है।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक के अनुसार अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उत्तर प्रदेश के किसानों को चालू मार्केटिंग सीजन में चीनी मिलों से गन्ना का कितना मूल्य मिलेगा।
किसान संगठनों द्वारा उत्तर प्रदेश में गन्ना के सैप में भारी बढ़ोत्तरी की मांग की जा रही है। ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में अंतिम बार 2021-22 सीजन के दौरान गन्ना के सैप में इजाफा किया गया था जब सामान्य श्रेणी के गन्ना का सैप बढ़ाकर 340 रुपए प्रति क्विंटल तथा अगैती किस्म के गन्ना का सैप बढ़ाकर 350 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश भारत में गन्ना का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है। हैरत की बात है कि वर्ष 2016-17 के सीजन से लेकर अब तक वहां गन्ना के सेप में केवल 35 रुपए प्रति क्विंटल का इजाफा किया गया है जबकि वहां भाजपा का शासनकाल उसी समय से चल रहा है। 2016-17 के सीजन में वहां गन्ना का राज्य समर्थित मूल्य (सैप) 305-315 रुपए प्रति क्विंटल घोषित हुआ था जो 2021-22 में 340-350 रुपए प्रति क्विंटल नियत हुआ।