iGrain India - नई दिल्ली । रबी फसलों की बिजाई अंतिम चरण में पहुंच गई है जबकि अगले महीने से कुछ फसलों की छिटपुट कटाई-तैयारी एवं मंडियों में आपूर्ति शुरू हो सकती है। इसके बाद मार्च-अप्रैल में सभी फसलों की आवक होने लगेगी।
इसे देखते हुए अगले कुछ सप्ताहों का मौसम रबी फसलों के स्वास्थ्य के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। उद्योग-व्यापार क्षेत्र के समीक्षकों ने रबी फसलों की स्थिति एवं पैदावार का अनुमान लगाना आरंभ कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि देश के मध्यवर्ती एवं पश्चिमोत्तर राज्यों में गेहूं का सर्वाधिक उत्पादन होता है जबकि पूरब में बिहार टाटा पश्चिम में गुजरात जैसे राज्यों में भी इसकी अच्छी खेती होती है।
आमतौर पर रबी फसलों की बिजाई का अंतिम चरण चल रहा है जबकि सरसों एवं जौ सहित कुछ अन्य फसलों की खेती लगभग पूरी हो चुकी है।
जिन इलाकों में रबी फसलों की बिजाई पहले ही समाप्त हो चुकी है वहां अब सबका दिन मौसम पर केन्द्रित हो गया है। इसके तहत खासकर तीन प्रमुख फसलों- गेहूं, चना एवं सरसों पर विशेष नजर रखी जा रही है।
इसके अलावा मसूर-मटर की फसल पर भी ध्यान रखा जा रहा है। फसलों की कटाई-तैयारी आरंभ होने में अभी कुछ सप्ताहों का समय बाकी है।
जहां तक गेहूं का सवाल है तो इसका उत्पादन क्षेत्र पिछले सीजन के काफी करीब पहुंच गया है और व्यापारियों का कहना है कि मार्च का मौसम पंजाब तथा हरियाणा में और फरवरी का मौसम मध्य प्रदेश में गेहूं की फसल के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण साबित होगा। इसके आधार पर ही गेहूं का उत्पादन वहां निर्धारित हो सकेगा।
देश के प्रमुख बांधों-जलाशयों में पानी का स्तर काफी घटने तथा शीत कालीन वर्षा का अभाव होने से अधिकांश रबी फसलों के लिए खतरा बढ़ गया है। यदि जनवरी में अच्छी बारिश हो जाए तो फसलों की हालत काफी सुधर सकती है।
केन्द्रीय यह कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू रबी सीजन में 29 दिसम्बर 2023 तक गेहूं का कुल उत्पादन क्षेत्र 320.50 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जो गत वर्ष की तुलना में कुछ पीछे है।
उस समय इसका क्षेत्रफल 324.50 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था। केन्द्र सरकार ने 2023-24 के वर्तमान सीजन हेतु 1140 लाख टन गेहूं के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।