iGrain India - रायपुर । केन्द्रीय पूल में चावल का योगदान देने वाले एक अग्रणी राज्य- छत्तीसगढ़ में चालू खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान अब तक कुल 82.44 लाख टन धान की सरकारी खरीद हुई है और इसके एवज में किसानों को 17,775 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
लेकिन कस्टम मिलिंग के लिए धान के उठाव की गति धीमी है। 6 नवम्बर तक केवल 48.23 लाख टन धान का उठाव हो सका था। इसके फलस्वरूप विभिन्न मंडियों में या सरकारी क्रय केन्द्रों पर अब भी धान का अम्बार लगा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसग़ढ में 1 नवम्बर 2023 से धान की खरीद प्रक्रिया शुरू हुई थी जो अभी जारी है। किसानों से 21 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से धान की खरीद हो रही है और यह चालू माह के अंत तक बरकरार रहेगी।
खरीद सीजन के बीच में किसानों ने कुछ उदासीनता दिखाई थी क्योंकि उसे नई प्रांतीय सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य से कुछ उदासीनता दिखाई थी क्योंकि उसे नई प्रांतीय सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर अतिरिक्त बोनस की घोषणा किए जाने का इंतजार था लेकिन अब उसने मंडियों में धान उतारने की गति तेज कर दी है।
जो किसान पहले ही धान की बिक्री कर चुके हैं उसे भी 21 क्विंटल प्रति एकड़ की बिक्री का लाभ सुनिश्चित किया जाएगा और वे 31 जनवरी 2024 तक अपने धान की बिक्री सरकारी क्रय केन्द्रों पर कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि 2022-23 के खरीफ मार्केटिंग सीजन में किसानों से 15 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से धान खरीदा गया था। यह खरीद 2040 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की गई थी और साथ ही इस पर 9000 रुपए प्रति एकड़ की दर से सब्सिडी भी दी गई थी। इसके फलस्वरूप किसानों को एक एकड़ पर 39,600 रुपए का मूल्य प्राप्त हुआ था।
इसकी तुलना में 2023-24 के वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन में किसानों से 21 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से धान खरीदा जा रहा है।
यदि वादे के अनुसार यह खरीद 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से हुई तो किसानों को एक एकड़ में उपजे धान के लिए 65,100 रुपए प्राप्त होगा जो पिछले सीजन से 25,500 रुपए ज्यादा है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में इस बार अब तक करीब 16.68 लाख किसानों से 17,773 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के 82.44 लाख टन से कुछ ज्यादा धान खरीदा जा चुका है और इसमें से कस्टम मिलिंग के लिए 68.55 लाख टन से कुछ अधिक धान के लिए डीओसी भी जारी कर दिया गया है।