iGrain India - मुम्बई । लाल सागर क्षेत्र में ईरान समर्थित यमन के हूती लुटेरों द्वारा जहाजों पर हमला करने तथा उसे अगवा करने की बढ़ती घटनाओं से विभिन्न कंपनियां इस महत्वपूर्ण जल मार्ग से अपना जहाज भेजने से कतराने लगी हैं।
इसके फलस्वरूप भारत से यूरोप को जाने वाले जहाजों का किराया भाड़ा लगभग दोगुना बढ़ गया है और इंश्योरेंस कंपनियों ने भी प्रीमियम में भारी बढ़ोत्तरी कर दी है। मालूम हो कि यूरोप भारतीय उत्पादों का दूसरा सबसे प्रमुख निर्यात बाजार माना जाता है।
एक अग्रणी शिपिंग कम्पनी ने लाल सागर जल मार्ग से अपने जहाजों को नहीं भेजने का निर्णय लिया है। यदि ये जहाज डायवर्जन के साथ अन्य जल मार्गों को अपनाते हैं तो भारतीय उत्पादों के लिए भविष्य में किराया भाड़ा तथा बीमा प्रीमियम में और भी भारी इजाफा हो सकता है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उनके घटनाक्रम आपस में मिश्रित होने जा रहे हैं। आमतौर पर लाल सागर जल मार्ग से भारत से यूरोप के लिए किराया भाड़ा 500-600 डॉलर बैठता है जबकि जनवरी से मार्च के बीच पीक सीजन के दौरान यह बढ़कर 1500 डॉलर तक पहुंच जाता है।
यूरोप ने सूचित किया है कि अब यह किराया भाड़ा बढ़कर 2000 डॉलर पर पहुंच गया है। इसके अलावा समुद्री लुटेरों के आक्रमण का खतरा भी बना हुआ है और इसलिए शिपिंग कंपनियां इस किराया भाड़ा के ऊपर सरचार्ज भी लगा रही है जिससे कुल सामुद्रिक परिवहन खर्च उछलकर 3000 डॉलर की उंचाई पर पहुंच गया है।
किराया भाड़ा में हुई इस जबरदस्त बढ़ोत्तरी से खासकर कम मूल्य वाले टेक्सटाइल एवं कृषि उत्पादों का निर्यात प्रभावित होने की संभावना है क्योंकि निर्यातक इसकी खेपों को भेजने के बजाए अपने पास रखकर स्थिति के सामान्य होने का इंतजार कर सकते हैं।
दूसरे रास्ते से माल भेजने पर न केवल किराया भाड़ा 15-20 प्रतिशत बढ़ जाएगा बल्कि 10-12 दिनों का अतिरिक्त समय भी लगेगा भारत से कपड़ो एवं बासमती चावल के निर्यात तथा भारत में पेट्रोलियम एवं एलएनजी के आयात पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना है।