iGrain India - नई दिल्ली । प्रमुख निर्यातक देशों में क्रूड डिगम्ड सोयाबीन तेल तथा क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का भाव मजबूत रहने से भारतीय बाजार में भी पिछले सप्ताह तिलहन-तेल के दाम में कुछ सुधार दर्ज किया गया।
इसमें सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तथा इसके तेल, क्रूड पाम तेल तथा आरबीडी पामोलीन आदि शामिल थे। दिल्ली तथा कांडला में भाव कुछ तेज रहा। बिनौला तेल में भी सुधार आया।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार निर्यातक देशों में पिछले सप्ताह क्रूड सोयाबीन का भाव 930-932 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 939-940 डॉलर प्रति टन तथा मलेशिया में क्रूड पाम तेल का दाम 860 डॉलर से बढ़कर 880 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया।
इसके प्रभाव से घरेलू बाजार में इन दोनों खाद्य तेलों के साथ अन्य तेलों एवं तिलहनों के दाम में मजबूती दर्ज की गई।
सरसों का थोक मंडी भाव पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 10-15 प्रतिशत नीचे चल रहा है जबकि किसान इससे नीचे भाव पर अपना उत्पाद बेचने के लिए तैयार नहीं है।
इस बीच विदेशों में खाद्य तेलों का भाव ऊंचा होने से भारत में सरसों का दाम कुछ सुधर गया। लेकिन फिर भी यह समर्थन मूल्य से नीचे ही रहा। सोयाबीन का मामला भी कुछ इसी तरह का है।
गत वर्ष एक समय इस महत्वपूर्ण तिलहन का भाव बढ़कर 7000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था जो वर्तमान समय में घटकर 4700-4800 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया है जो न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास ही है।
भाव नीचे होने से मंडियों में सोयाबीन की आवक प्रभावित हो रही है। सोयाबीन के उत्पादन में कुछ गिरावट आने का अनुमान है। इससे किसानों को नुकसान हो रहा है।
इसके अलावा मूंगफली एवं इसके तेल की कीमतों में भी कुछ सुधार दर्ज किया गया। प्रत्यक्ष खपत के लिए मूंगफली की अच्छी मांग बनी हुई है।
मूंगफली के ऊंचे दाम से इसके तेल का लागत खर्च बढ़ गया है जबकि घरेलू प्रभाग में अन्य वैकल्पिक तेलों का भाव नीचे होने से मूंगफली तेल की मांग एवं खपत प्रभावित होने लगी है। इसके फलस्वरूप मूंगफली की क्रशिंग प्रोसेसिंग इकाइयों को नुकसान हो रहा है।
सरसों का औसत थोक मंडी भाव 90 रुपए की वृद्धि के साथ 5365/5415 रुपए प्रति क्विंटल और चरखी दादरी में सरसों तेल का दाम 200 रुपए बढ़ाकर 9850 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंचा। इसी तरह 15 किलो के टीन में इसका मूल्य 35 रुपए मजबूत हुआ।