iGrain India - नई दिल्ली । चावल के खुदरा बाजार भाव को नियंत्रित करने के लिए केन्द्र सरकार कुछ नए कदम उठा सकती है। देश के अंदर चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति की समीक्षा के लिए केन्द्रीय खाद्य मंत्री द्वारा सभी सम्बद्ध पक्षों की एक महत्वपूर्ण बैठक 15 जनवरी को बुलाई गई है जिसमें मिलर्स-प्रोसेसर्स, ट्रेडर्स- स्टॉकिस्ट एवं निर्यातक भी शामिल होंगे।
पिछले एक साल से भी अधिक समय से चावल में खुदरा महंगाई दो अंकों में बनी हुई है जिससे आम लोगों को भारी कठिनाई हो रही है। इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है जिसमें केन्द्रीय पूल से चावल के स्टॉक की बिक्री करना और रिटेलर्स से ऊंचे मार्जिन को घटाने के लिए कहना भी शामिल है।
15 जनवरी को होने वाली महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक के दौरान उद्योग- व्यापार क्षेत्र की ओर से जो सुझाव सामने आएंगे उस पर भी गंभीरतापूर्वक विचार किया जाएगा।
केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि भारत दाल एवं भारत आटा स्कीम की तर्ज पर चावल की बिक्री शुरू करने पर विचार हो रहा है। इस माध्यम से बाजार में हस्तक्षेप किया जा सकता है।
इससे चावल के खुदरा मूल्य को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास चावल के उपलब्ध अधिशेष स्टॉक का इस्तेमाल इस योजना के लिए किया जाएगा।
इसके साथ-साथ खुदरा करोबारियों से कहा जाएगा कि वे चावल पर ऊंचे मार्जिन को घटाने का प्रयास करे। चूंकि अगले कुछ महीनों में लोकसभा के लिए आम चुनाव होना है इसलिए सरकार खाद्य महंगाई के मोर्चे पर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है।
वर्तमान समय में भारत ब्रांड नाम के तहत सरकारी एजेंसियों- नैफेड, केन्द्रीय भंडार एवं एनसीसीएफ के माध्यम से सरकार रियायती मूल्य पर चना दाल एवं गेहूं आटा की बिक्री कर रही है।
चना दाल का मूल्य 60 रुपए प्रति किलो तथा गेहूं आटा का दाम 27.50 रुपए प्रति किलो नियत है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यदि भारत चावल बेचने का निर्णय लिया जाता है तो उसका कितना मूल्य निर्धारित होगा क्योंकि खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बेचे जा रहे चावल की खरीद में मिलर्स एवं व्यापारी ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।