iGrain India - नई दिल्ली। हालांकि वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान 1 अक्टूबर 2023 से 5 मार्च 2024 तक केन्द्रीय बफर स्टॉक के लिए चावल की कुल सरकारी खरीद 441.50 लाख टन पर पहुंच गई लेकिन फिर भी यह 2022-23 मार्केटिंग सीजन की समान अवधि की खरीद 475.50 लाख टन से 34 लाख टन या 7 प्रतिशत कम रही।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने चालू खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान 1114.60 लाख टन चावल के घरेलू उत्पादन का अनुमान लगाया है जिसके लगभग 40 प्रतिशत भाग की सरकारी खरीद अब तक हो चुकी है।
व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि अब सरकार को चावल की खरीद बढ़ाने की जरूरत नहीं है और न ही उसे इसके लिए प्रयास करना चाहिए क्योंकि इससे खुले बाजार में चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता प्रभावित हो सकती है और कीमतों में तेजी की संभावना बन सकती है।
नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में चावल (वस्तुत: उसके समतुल्य धान) की खरीद पिछले सीजन के 58.60 लाख टन से उछलकर इस बार 74 लाख टन पर पहुंची लेकिन मध्य प्रदेश में यह 30.90 लाख टन से घटकर 28.20 लाख टन रह गई।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को सभी सरकारी कल्याणकारी योजनाओं को संचालित करने के लिए 410 लाख टन चावल की वार्षिक जरूरत पड़ती है।
केन्द्र सरकार जनवरी-मार्च 2024 के दौरान भारी मात्रा में चावल की खरीद के प्रति पूरी तरह आश्वस्त थी ताकि 31 दिसम्बर 2023 तक इसकी खरीद में आई 14 प्रतिशत की गिरावट की भरपाई संभव हो सके।
चूंकि कुल खरीद इसकी जरूरत से ऊपर पहुंच गई है और इसकी प्रक्रिया अभी जारी है इसलिए सरकार ने चावल की खरीद का लक्ष्य 521.30 लाख टन से बढ़ाकर अब 534.30 लाख टन नियत कर दिया है। ज्ञात हो कि 2022-23 के सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन के दौरान सरकार द्वारा कुल मिलाकर 568.70 लाख टन चावल खरीदा गया था।