iGrain India - नई दिल्ली । हैरानी की बात है कि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाए जाने के बावजूद खाद्य मंत्रालय ने इस वर्ष महज 300-320 लाख टन की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है।
इस बीच फरवरी के अंत एवं मार्च के आरंभ में तेज हवा के साथ बेमौसमी वर्षा होने तथा कहीं-कहीं ओले गिरने से रबी कालीन फसलों और खासकर गेहूं, सरसों तथा चना की फसल को नुकसान होने की आशंका है। इन फसलों की कटाई-तैयारी में देर हो सकती है और इसकी उपज दर तथा क्वालिटी प्रभावित हो सकती है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं के कारण पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान जैसे प्रांतों में गेहूं की फसल पर असर पड़ा है और राजस्व विभाग द्वारा क्षति का आंकलन किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि 1 मार्च को मौसम विभाग ने पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के कारण पश्चिमी हिमालय क्षेत्र तथा पश्चिमोत्तर भारत के मैदानी भाग में 3-4 मार्च तक भारी वर्षा एवं बर्फबारी होने की संभावना व्यक्त की थी।
उधर केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में 2023-24 के रबी सीजन में 1120 लाख टन गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन की संभावना व्यक्त की है। यह 2022-23 सीजन के उत्पादन 1105 लाख टन से करीब 1.3 प्रतिशत ज्यादा है।
समीक्षकों का कहना है कि यदि फसल को ज्यादा नुकसान हुआ है तो गेहूं के उत्पादन अनुमान में कटौती हो सकती है। इसी तरह अन्य फसलों का उत्पादन अनुमान भी घटाया जा सकता है।
एक वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि तेज हवा एवं ओलावृष्टि से गेहूं की फसल जमीन पर गिरने की सूचना मिल रही है लेकिन कुल उत्पादन पर उसका नगण्य असर पड़ेगा। अब मौसम धीरे-धीरे गर्म होने लगा है।